इस वर्ष कब मनाई जाएगी विजया एकादशी आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त

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धर्म डेस्क / ज्योति त्रिवेदी : इस वर्ष कब मनाई जाएगी विजया एकादशी आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त । ,किस प्रकार करें पूजा विधि , हिंदू पंचांग के अनुसार विजया एकादशी कब मनाई जाएगी विजया एकादशी 6 मार्च को सुबह 6:31 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 7 मार्च को 4:14 पर एकादशी तिथि की समाप्ति होगी पंचांग के अनुसार एकादशी का व्रत 6 मार्च को मनाया जाएगा। किस प्रकार करें पूजा विधि, इस दिन सुबह से नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहन कर हमें एकादशी की पूजा करनी चाहिए इस दिन सबसे पहले हमें सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए अपने घर के मंदिर में पीले कपड़े का आसान लगाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान करें जिसमें भगवान विष्णु भगवान शेषनाग सैया पर विराजमान हो और माता लक्ष्मी उनके चरणों को दबा रही हों अगर आपके घर में ऐसी प्रतिमा नहीं है तो आप फिर अपने घर के लड्डू गोपाल की भी पूजा कर सकती है.

इस दिन भगवान विष्णु को पीला चंदन पीले पुष्प पीले वस्त्र पीली मिठाई आदी से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उनसे अपने व्रत पूरा होने की कामना करें। एकादशी के दिन हमें क्या नहीं करना चाहिए। विष्णू पुराण के अनुसार हमें एकादशी के दिन हमें अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए इस दिन 8 वर्ष की आयु से लेकर 80 वर्ष तक की आयु के सभी मनुष्यों को किसी भी प्रकार का कोई भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति के अनुसार हर व्यक्ति को एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए । एकादशी का व्रत हमें समस्त पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है इसलिए हमें एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। क्यों मनाई जाती है विजया एकादशी, जैसा कि प्रत्येक माह में दो एकादशी पड़ती है जिसमें एक एकादशी पूर्णिमा के बाद शुक्ल पक्ष और अमावस्या के बाद कृष्ण पक्ष के बाद जो भी तिथि होती है उस तिथि को एकादशी का व्रत और पूजा किया जाता है। आईए जानते क्या हैं कारण ।एक बार महर्षि मेधा ने एक भिक्षुक का अपमान किया था जिस कारण मां दुर्गा महर्षि मेधा से नाराज हो गई और महर्षि मेधा को श्राप दिया जिससे कि महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया और जमीन में धंस गए जिससे महर्षि मेधा से मां दुर्गा बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुई और उन्होंने महर्षि मेधा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारे अंग ही धरती पर अन्न के रूप में उगेंगे महर्षि मेधा के अंग से जो अन्न उगे जो कि चावल और जाओ जिस दिन दिन जो चावल उगे थे वह दिन विजय एकादशी का दिन था इसलिए उस अन्न को महर्षि मेधा का जीव माना गया इसलिए इस दिन हमें चावल का प्रयोग निषेध माना गया है इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना बिल्कुल ही वर्जित माना गया है.

आप व्रत रखते हैं या नहीं लेकिन एकादशी के दिन अगर आप चावल का एक भी दाना खाते हैं तो यह जीव के खाने के बराबर माना जाता है और जो व्यक्ति व्रत पूजा करते हैं तो उनके लिए एक दिन पहले से एक दिन बाद तक चावल खाना बिल्कुल मना है । एकादशी के दिन किन चीजों का करें दान । सभी व्रत पूजा में दान देना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है हमें किसी भी पूजा पाठ में दान दक्षिणा अवश्य करना चाहिए हमें अपनी समर्थ के अनुसार दान जरूर करना चाहिए विजया एकादशी के दिन दान करने से हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते और सभी बाधाएं समाप्त हो जाती है। इस दिन हमें जल वस्त्र पंखा मिठाई फल फूल आदि का दान करना चाहिए इन सब चीजों का दान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है । कलश अगर आप इस दिन तांबे के कलश का दान करते हैं तो यह बहुत ही फलदाई माना जाता है एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि इस दिन आप केवल फलाहारी चीजों का दान करें और दूसरे दिन द्वादशी को अन्न का दान कर सकते हैं लेकिन एकादशी के दिन आटा ,चावल, नमक आदि का दान करना गलत माना जाता है।

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