होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियां जलाना होता है अशुभ, भूलकर भी न करें इस्तेमाल

0
262

धर्म डेस्क / ज्योति त्रिवेदी : होलिका दहन में ना जलाएं इन पेड़ों की लकड़ियां को नहीं तो हो सकता है कुछ अनिष्ट, हिंदू धर्म में होलिका का त्यौहार बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है और इस त्यौहार में एक दिन पहले होली जलाई जाती है और दूसरे दिन रंग गुलाल खेला जाता है , पर होलिका दहन में ना करें इन पेड़ों की लकड़ियां को शामिल .। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में कुछ पेड़ पूंजनीय माने जाते हैं जिनकी लकड़ियां को ना तो हम काट सकते हैं और ना ही आग में जला सकते हैं ऐसा करना हमारे धर्म में अशुभ माना जाता है। होली का पर्व । होली का त्योहार हमारे बहुत ही समीप आ गया है अबकी बार होली का त्योहार 24 मार्च को होली जलाई जाएगी और 25 मार्च को गुजिया पापड़ के साथ-साथ रंग गुलाल का त्यौहार मनाया जाएगा 25 मार्च को हम रंगों की होली मनाएंगे रंगों की होली के 1 दिन पहले हम होलिका दहन मानते हैं इस दिन हम होली जलाते हैं।

होली का पर्व क्यों मनाया जाता है ।

इसके पीछे भी एक कथा हमारे शास्त्रों में बताई गई है कि हिरण्यकश्यप प्रहलाद के पिता थे जो की एक दानव प्रवृत्ति में इनका जन्म हुआ था और हीरा कश्यप के पुत्र प्रहलाद जो कि भगवान विष्णु के परम भक्त थे लेकिन हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे उन्होंनेभक्त प्रहलाद को काफी यातनाएं दी तब भी भक्त प्रहलाद ने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी तब हिरन्या कश्यप ने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठाकर आग लगा दी आग जला दी लेकिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद आग से पुनः जीवित बाहर आ गए और प्रहलाद की बुआ होली की आग में जलकर भस्म हो गई तब से होली मनाने की प्रथा आज तक चली आ रही है. इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है इसलिए हमें अपनी अच्छाई की जीत को खुशी में होली का पर्व मनाते हैं। होलिका दहन के लिए गांव में लोग बसंत पंचमी से होलिका का पर्व शुरू हो जाता है बसंत पंचमी में होली के लिए लकड़ी इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। परंतु कुछ लकड़ियां को होली में जलना अशुभ माना जाता है। इसलिए आप इन लकड़ियां को होली में जलाने से बचे नहीं तो हो सकता है आपके लिए अशुभ।

वास्तु शास्त्र के अनुसार इन लकड़ियां को होली में ना जलाएं। होली में इन वृक्षों की लकड़ियां ना जलाएं होलिका दहन में इन लकड़ियां को बिल्कुल नहीं जलाना चाहिए जैसे पीपल, बरगद ,तुलसी , आंवला ,शमी, गूलर , बांस ,बेल, सिरसा, इमली आदि लकड़ियां को आग में नहीं जलाना चाहिए कुछ लोग अपने घर के पुराने फर्नीचर बेड टूटे हुए या चारपाई टूटी हुई यह सब होली में जला देते हैं ऐसा करना अशुभ माना जाता है। क्योंकि हमारे इन वृक्ष की लकड़ियां में हमारे देवी देवताओं का वास रहता है इसलिए हमें इन वृक्षों की लकड़ियां नहीं जलाना चाहिए यह सभी हमारे हिंदू धर्म में भी पूजनीय माने जाते हैं। होली में किन वृक्षों की लकड़ियां का प्रयोग कर सकते हैं । हमारे सनातन धर्म में कुछ वृक्षों की लकड़ियां का जलना शुभ माना जाता है इसलिए हमें होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियां जलानी चाहिए जैसे आम ,जामुन ,शीशम ,नीम, अमरुद, कथा आदि वृक्षों की लकड़ियां जलानी चाहिए। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमें किसी हरे भरे वृक्षों को नहीं काटना चाहिए और ना ही जलाना चाहिए हमेशा सुखी लकड़ी का ही प्रयोग करें ।

होलिका दहन में करें गाय के गोबर से बने कंडो का प्रयोग।

होलिका दहन में गोबर से बनी होली और छोटे-छोटे बल्ले का प्रयोग करें अगर आप गोबर की होली और बल्ले नहीं बन पाती है तो उपले और कंडो का प्रयोग कर सकते हैं कंडो और उपलों को जलाने से हमारे आस पास का वातावरण शुद्ध रहता है और हमारे पेड़ों को भी कोई नुकसान नहीं होता है। घास फूस खरपतवार का कर सकते हैं प्रयोग । होलिका दहन में कंडो और उपलों के साथ-साथ कुश काश सरपत और घास फूस का प्रयोग कर सकते हैं घास फूस के प्रयोग से आपके घर के आसपास की साफ सफाई भी हो जाएगी जिससे कि आपके घर में कीड़े मकोड़े मक्खी मच्छर आदि नहीं प्रवेश करेंगे और आप हर प्रकार की बीमारियों से भी बचे रहेंगे।

LEAVE A REPLY