माँ पीतांबरा कि आराधना कर पाए धन वैभव और यस कीर्ति

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हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माँ पीतांबरा जयंती मनाई जाती है। इस दिन विधि विधान से माँ पीतांबरा का अनुष्ठान आरंभ कराना विशेष फलदायी सिद्ध होता है जो कि इस बार 15 मई 2024 को माँ पीतांबरा देवी जयंती मनाई जाएगी आपको बताते चले कि माँ पीतांबरा का एक अन्य नाम देवी बगलमुखी भी है।

मां पीतांबरा को आठवीं महाविद्या माना जाता हैं।
इनके कई स्वरूप माने गए हैं। माना जाता है कि इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष फल मिलता है। मां बगलामुखी अपने भक्तों के भय को दूर करने के साथ ही उनके शत्रुओं का भी नाश करती हैं। माता रानी को पीला रंग अतिप्रिय है। इसलिए इनको पीले रंग के फूल चढ़ाये जाते है ।।

मां पीतांबरा शत्रु नाश, सम्मोहन , वशीकरण कि अधिष्ठात्री देवी है वैशाख मास शुक्ल पक्ष कि अष्टमी तिथि को माँ पीतांबरा कि जयंती मे प्रारम्भ किया गया अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है और इस अवधी मे किये गये अनुष्ठान मे ऐसा आज तक कभी हुआ ही नहीं कि किसी भी भक्त की प्रार्थना निष्फल गई हो

माना जाता है कि दुष्टों का संहार करने वाली मां बगुलामुखी अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में श्रद्धा और विश्वास अत्यधिक होने पर मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ती है। इनकी आराधना करके आप जीवन कि हर चीज को संभव बना सकते हैं।

वर्तमान समय में इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। माना जाता है कि इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, बल्कि आपके शत्रु को ही कष्ट पहुंच सकता है। इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य अतिआवश्यक है।

बगलामुखी जयंती के दिन ये रखें सावधानियां…

– एक समय भोजन करें।
– ब्रह्मचर्य का पालन करें।
– पीले वस्त्र धारण करें।
– बाल नहीं कटवाएं।
– दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
– मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
– साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
– साधना अकेले में, मंदिर में,या समशान मे या गंगा तट शिव मंदिर पे करना शुभ है और इस साधना को विशेष सावधानी से जानकार के सानिध्य में ही करे क्यू कि यह साधना अत्यधिक कारगर है इस सधना के मध्य गलती के लिए क्षमा नही है अतः इसका प्रयोग सिर्फ जन मानस के लाभ के लिए हि करे किसी को आहत करने के लिए बिल्कुल भी नही करनी चाहिए

जानकारों के अनुसार ध्यान अथवा मंत्र संबंधित देवी-देवता से संपर्क का साधन है। जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंचती है। इसलिए मंत्र शुद्ध पढ़ना चाहिए। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखे

पूजा में अवश्य ध्यान रखे इन चीजों का
1. ब्रह्मचर्य, 2. शुद्ध और स्वच्छ आसन 3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 5. पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना।

: तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है।

: गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है।

: अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए।

मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

: मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं।

: माना जाता है कि गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं।
भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते है।।

अधिक जानकारी हेतू संपर्क करे ।।

आचार्य अमन अग्निहोत्री
(ज्योतिष एवं कर्मकांड विशेषज्ञ)
मो.- 9889344515

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