रामनवमी 10 अप्रैल को, त्रिवेणी और रवि पुष्प योग में होगी पूजा

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चैत्र शुल्क पक्ष नवमी दिन रविवार को श्रीराम जन्मोत्सव (रामनवमी) मनाया जाएगा। भगवान श्रीराम भक्त हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की अपार उमड़ेगी। खास यह कि इस बार त्रिवेणी, रवि पुष्प, सुकर्मा और श्रीवस्त योग में रामनवमी की पूजा होगी। ऐसा संयोग काफी सालों बाद बना है।

पूजा को लेकर मंदिरों की सफाई कर सतरंगी लरियों से सजाया-संवारा जा रहा है। बिहारशरीफ के प्रसिद्ध धनेश्वर घाट मंदिर समेत अन्य मंदिरों में रामनवमी के दिन पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की कतारें लगेंगी। ज्योतिष के जानकारी पं. मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि रामनवमी का व्रत मध्याहव्यापनी दशमी विद्वा नवमी को करना चाहिए। भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में हुआ था।

पूजा शुभ मुहूर्त:प्रात: अमृत योग में 5.55 से 9.32 तक, आनंद योग 9.33 से 11.44 तक, कर्क लग्न में मध्याह्न 11.45 से 2.03 तक और त्रिवेणी योग में 2.04 से 5.36 तक।

कैसे करें पूजा:

रामनवमी के प्रात: काल स्नान आदिक्रिया से निवृत्त होकर उपवास करें। शुभ मुहूर्त में एक मंडप बनाकर पंचोपाकर विधि से पूजा करें। जल, पंचामृत, जनेऊ, रोड़ी, चंदन, पुष्प, धूप, पान, सुपारी, फल, मिठाई के साथ घी का दीपक जलाएं। हनुमान चालिसा का पाठ करें और 108 बार ऊं रां रामाय नम: का जाप करें। इसके बाद श्रीराम स्त्रोत या सुंदरकांड का पाठ करनी चाहिए।।

असुरों का संहार करने को श्रीराम ने लिया था अवतार

सोहसराय हनुमान मंदिर के पुजारी पं सुरेन्द्र दत्त मिश्र शास्त्रों के हवाले से बताते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। धरती पर असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में मानव अवतार लिया था। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।

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