श्रीलंका और पाकिस्तान से कैसे समझदार निकला नेपाल, चीन नहीं बिछा पाया जाल

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नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा पिछले सप्ताह जब भारत आए थे तो उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में बताया था कि कैसे उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से कह दिया कि हमें लोन की नहीं अनुदान की जरूरत है।

नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा पिछले सप्ताह जब भारत आए थे तो उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में बताया था कि कैसे उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से कह दिया कि हमें लोन की नहीं अनुदान की जरूरत है। देउबा ने कहा था कि हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए चीन से कर्ज की जरूरत नहीं है। तथ्य यह है कि चीन की तमाम कोशिशों के बाद भी बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के तहत नेपाल ने कोई भी करार नहीं किया और काठमांडू से वांग यी खाली हाथ ही लौट आए। नेपाल के इस फैसले को दक्षिण एशिया के अन्य देशों के मुकाबले समझदारी भरा ही कहा जाएगा। पाकिस्तान और श्रीलंका में आज जो अस्थिरता और आर्थिक संकट के हालात हैं। उसकी एक वजह चीन को भी माना जा रहा है। 

पाकिस्तान के ऊपर जो कुल कर्ज है, उसमें 10 फीसदी हिस्सा चीन का ही है। आज इमरान खान चीन के बेहद करीबी हैं और सेना अमेरिका के सुर में बात करती दिख रही है। नतीजा यह है कि देश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बन गई है। श्रीलंका की स्थिति तो बेहद विपरीत है, जहां उसके पास पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है और बत्ती गुल है। महिंदा राजपक्षे की सरकार गहरे संकट के दौर से गुजर रही है। कहा जा रहा है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट के लिए उन्होंने चीन से ऊंची ब्याज दर पर जो लोन लिए थे, उनके चलते भी देश की कमर टूट गई है। फिलहाल देश भर में लॉकडाउन की स्थिति है ताकि लोगों को आंदोलन करने से रोका जा सके, जो सरकार के खिलाफ गुस्से में हैं। 

श्रीलंका हुआ सतर्क, पर पाकिस्तान अब भी चीन के पाले में

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पाकिस्तान और श्रीलंका की यह स्थिति दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों के लिए भी सबक की तरह है। बता दें कि नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश पर भी चीन बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट से जुड़ने का दबाव बनाता रहा है। कुछ वक्त पहले ही चीन का नेपाल पर प्रभाव बढ़ता दिखा थाा। माओवादी विचारधारा के जरिए उसने पाल में घुसपैठ की कोशिशें की थीं। हालांकि अब भी श्रीलंका तो चीन की वजह से बर्बादी की बात समझता दिख रहा है, लेकिन पाकिस्तान के हालात अलग हैं। पाक पीएम इमरान खान लगातार अमेरिकी प्रशासन पर हमला बोल रहे हैं और चीन के ही बेहद करीबी दिख रहे हैं। अमेरिका पर तो उन्होंने सीधे तौर पर अपनी सरकार गिराने की कोशिश करने का ही आरोप लगा दिया है। 

कैसे आत्मघाती रणनीति में फंस गया पाकिस्तान

हालांकि जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान की यह रणनीति आत्मघाती है। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका उसे साथ लाना चाहता था, लेकिन इमरान खान ने लगातार उसकी आलोचना की और अपने रास्ते ही बंद कर लिए। इसकी बजाय वह चीन के पाले में खुलकर जाते दिखे, जो ड्रैगन के लिए अच्छी बात है। लेकिन पाकिस्तान अमेरिका के पक्ष में कुछ बयान देकर चीन पर दबाव बना सकता था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। अब एक कमजोर पाकिस्तान भले ही अमेरिका के हित में न हो, लेकिन चीन उसका दोहन जरूर करेगा। यही श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे मुल्कों की रणनीतिक चूक है और नेपाल की समझदारी है।

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