शनिवार के दिन शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता है तेल…?

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ज्योति त्रिवेदी / धर्म डेस्क : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। शनिदेव, व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उसे फल देते हैं। शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है। आइए, आज हम आपको बताते हैं शनिदेव और तेल का क्या संबंध है:

शनिदेव को तेल चढ़ाने के पीछे 2 पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।


पहली कथा- इस कथा का संबंध है रावण से
• धार्मिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि रावण ने अपने बल से सभी ग्रहों को बंदी बना रखा था। शनिदेव को रावण ने अपने अहंकार में चूर होकर बंदीग्रह में उलटा लटका दिया था। उसी समय हनुमान जी, माता सीता की खोज में प्रभु श्रीराम के दूत बनकर लंका गए हुए थे। रावण ने जब हनुमा जी की पूंछ में आग लगाई थी, तब हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी थी।
• संपूर्ण लंका के जलने से सारे ग्रह आजाद हो गए परंतु शनिदेव उलटे लटके हुए थे, जिस कारण शनि देव आजाद नहीं हो पाए और उल्टे लटके होने के कारण उनके शरीर में बहुत पीड़ा हो रही थी, जिस वजह से वे दर्द से परेशान हो रहे थे।
• शनिदेव की इस पीड़ा को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की और उन्हें दर्द से मुक्त किया था। तब शनिदेव ने कहा था कि, “जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा, उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी।” तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

दूसरी कथा: शनिदेव और हनुमान जी में हुआ था युद्ध


• धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार शनिदेव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड होने लगा था और वे खुद को सबसे अधिक शक्तिशाली समझने लगे थे। इसी अहंकार और घमंड में शनिदेव, हनुमान जी से युद्ध करने चले गए। शनिदेव, हनुमान जी को हराकर यह साबित करना चाहते थे कि उनसे अधिक शक्तिशाली इस दुनिया में कोई नहीं है।
• शनिदेव, हनुमान जी के पास पहुंचे, लेकिन उस समय हनुमान जी अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन थे। शनिदेव, हनुमान जी से मिलते ही उनसे युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। हनुमान जी ने शनिदेव को बहुत समझाया और वे युद्ध के लिए तैयार नहीं हुए। लेकिन शनिदेव तो अहंकार में चूर थे। उन्होंने हनुमान जी की एक न सुनी और युद्ध के लिए अड़े रहे।
• जब बहुत बार मना करने पर भी शनिदेव नहीं माने, तो हनुमान जी और शनिदेव के बीच युद्ध शुरू हुआ। युद्ध में शनिदेव बुरी तरह हारकर घायल हो गए और उनके शरीर में भयंकर पीड़ा होने लगी। तब हनुमान जी ने उनकी पीड़ा को तेल लगाकर कम किया। इसी कारण शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है। शनिदेव ने कहा कि, “जो भी मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा, मैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करूंगा।

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