संजय कुमार-वाराणसी. धर्म नगरी काशी में नवसंवत्सर 2079 का स्वागत दो अप्रैल धूमधाम से होगा। मुख्य आयोजन अस्सी घाट पर होगा। इसके तहत संस्कार भारती की महानगर इकाई सुबह-ए-बनारस के सहयोग से स्वागत समारोह को भव्य स्वरूप देगी। इस मौके पर चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा की भोर में वैदिक मंत्रोच्चार संग बटुक व गणमान्य नागरिक सनातनी हिंदू नव वर्ष का स्वागत करेंगे।
संस्कार भारती के महानगर महामंत्री डॉ सौरभ श्रीवास्तव ने बातचीत में बतया कि संस्कार भारती काशी महानगर और सुबह-ए-बनारस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाला नव सवंत्सर अभिनंदन कार्यक्रम दो अप्रैल को रात्रिपर्यंत चलेगा। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दो अप्रैल को आयोजित इस कार्यक्रम का प्रारंभ सुबह- ए- बनारस के सहयोग से प्रातः काल वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रारम्भ होगा।
सूर्योदय के वक्त वैदिक मंत्रोच्चार से होगा नव संवत्सर का स्वागत
महामंत्री डॉ सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि यह नई पीढ़ी को अपनी प्राच्य परंपरा से जोड़ने का अनुपम प्रयास है। इसके तहत 2 अप्रैल प्रातः कालीन कार्यक्रम के बाद रात्रिकालीन कार्यक्रम 8 बजे से शुरू होगा जिसमें बनारस के नामचीन कलाकार शिरकत करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु होंगे जबकि पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। डॉ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ हरेराम त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि होंगे।
सनातनी परंपरा के निर्वहन को ये आयोजन
संस्कार भारती के अध्यक्ष नीरज अग्रवाल ने बताया कि अनादि काल से विश्व को प्रकाश मार्ग की ओर ले जाने वाली सनातनी परंपरा सदैव संपूर्ण चराचर जगत में पूजनीय रही है। ऋषि-मुनियों एवं अनेकानेक विद्वानों के अथक परिश्रम के पश्चात प्राप्त ज्ञान से ओतप्रोत रही है भारतीय सनातनी परंपरा। हमारे ऋषि-मुनियों जिन लोकाचारों को हमारे समक्ष प्रस्तुत किया उसके पीछे निश्चित ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण विद्यमान रहा है। शायद यही कारण है कि प्रत्येक ऋतु के आधार पर हमारे यहां व्रतों त्योहारों का विधान किया गया है।
सनातनी परंपरा को आगे लेकर चलना हम सबकी जिम्मेदारी
संरक्षक प्रमोद पाठक ने कहा कि इस पुनीत कार्य में समाज सहभागी बने जिससे हम अपनी संस्कृति की ध्वज पताका को एक बार फिर से इस गगन में लहरा सकें और गर्व से अपनी सनातनी परंपरा को आगे लेकर चलने में समर्थ हो सके।
गायन, वादन, नृत्य, रंगोली और चित्रकला जैसे आयोजन भी होंगे
संस्था के मंत्री अर्पित शिधोरे ने बताया कि इस पुण्य कार्य के लिए संस्कार भारती काशी महानगर, हिंदू नव संवत्सर का आयोजन दो अप्रैल को अस्सी घाट पर किया जा रहा है जिसमें गायन, वादन ,नृत्य चित्रकला ,रंगोली इत्यादि प्रमुख ललित कलाओं का न केवल मंचन होगा बल्कि सांस्कृतिक विविधता का दर्शन भी होगा।
नई पीढ़ी को परंपरा से अवगत कराना जरूरी
कार्यकारी अध्यक्ष डॉ के ए चंचल ने बताया कि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता “यह अपना नववर्ष नहीं” को पढ़ने के पश्चात यह भली प्रकार ज्ञात हो जाता है कि वास्तव में कितने सूक्ष्म तत्त्वों के अध्ययन के उपरांत चैत्र के प्रारंभ के समय हमारे नव वर्ष का प्रारंभ ऋषि-मुनियों ने माना। पिछले कई दशकों में पाश्चात्य संस्कृति ने हमारे रीति-रिवाजों , त्योहारों एवं मान्यताओं को न केवल विध्वंस किया है बल्कि मानव की चेतन ता के अंतस में बसते हुए उसे कुचलने का प्रयास किया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वर्तमान पीढ़ी अपने हिंदू नव वर्ष को न जान कर आंग्ल नव वर्ष 1 जनवरी को ही नववर्ष मानने लगी है। ऐसे में कह सकते हैं कि यह संक्रमण काल का एक नया दौर है। ऐसे में हमारे कंधों पर या भार स्वयं आ जाता है कि हम अपने संस्कृति, संस्कारों ,व्रतों ,त्योहारों के रक्षार्थ पुनः अपने कार्यक्रमों को धरातल पर लेकर आएं ताकि न केवल वर्तमान पीढ़ी उसे देखे बल्कि आने वाली पीढ़ी में भी हस्तांतरित कर सके।
कोरोना काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले होंगे सम्मानित
उपाध्यक्ष वीणा सहाय ने बताया कि कार्यक्रम में कोरोना काल में समाज के जरूरतमंदों की मदद के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया जाएगा। सम्मानित होने वालों में चिकित्सा क्षेत्र से डॉ पीयूष वाजपेई, डॉ आरके यादव, डॉ सिद्धार्थ सिंह, डॉ मनोज गोस्वामी, समाज सेवा के क्षेत्र में डॉ आर्यमा सान्याल, आशुतोष बैनर्जी, संजय सिंह, राजकुमार सिंह तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में अरविंद मिश्र एवं ईश्वर उपाध्याय शामिल हैं।