दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान

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लखनऊ : देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। प्रदेश सरकार पशुधन के सर्वांगीण विकास हेतु कृषकों के हित में अनेको लाभकारी योजनाएं संचालित की है तथा उनमे गति प्रदान करने के लिये नये अभिनव प्रयोगों से प्रदेश में नयी योजनाओं के माध्यम से उन्हें लागू किया जा रहा है। पशु स्वास्थ्य, रोग नियंत्रण, पशुधन बीमा, के साथ-साथ नवीन पशुचिकित्सालयों का निर्माण तथा वृहद गौ-संरक्षण केन्द्रों की स्थापना के साथ-साथ अस्थायी गो-आश्रय स्थल स्थापित किये जा रहे है। नस्ल सुधार हेतु सेक्स सॉर्टेड सीमेन के उपयोग से गोवंशीय पशुओं में मात्र बछिया उत्पादन हेतु व्यापक कार्यक्रम चलाये जा रहे है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल निर्देशन में प्रदेश में मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत तथा पोषण मिशन में इच्छुक कृषक/पशुपालकों को निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों से गोवंश (अधिकतम 4 गोवंश प्रति लाभार्थी पशुपालक) सुपुर्दगी में दिए जा रहे हैं।
प्रदेश में वर्ष 2022-23 में 362.414 लाख मी० टन दुग्ध उत्पादन कर देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2023-24 में 412.32 लाख मी०टन उत्पादन किया गया है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन के अतिरिक्त अण्डा उत्पादन में भी तेजी आई है। वर्ष 2022-23 में 4558.548 लाख अंडों का उत्पादन किया गया है। वर्ष 2023-24 में 5389.90 लाख (अंनतिम) अण्डा उत्पादन किया गया है। वर्ष 2022-23 में 1191.760 हजार टन मांस का उत्पादन किया गया है। वर्ष 2023-24 में 1347 हजार मी०टन मांस उत्पादन किया गया है। इन उत्पादों से कृषकों/पशुपालकों, अण्डा उत्पादकों एवं मांस के कारोबारियों को आर्थिक लाभ हो रहा है। साथ ही आमजन को पौष्टिक आहार भी मिल रहा है।
प्रदेश में पूर्व कुक्कुट विकास नीति के अन्तर्गत वर्ष 2024-25 में 30,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 316 इकाइयां व 10,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 375 इकाइयां एवं 10000 ब्रायलर पैरेंट पक्षी की 44 इकाईया क्रियाशील है। जिससे 107.08 लाख अंडा प्रतिदिन उत्पादित किया जा रहा है तथा ब्रायलर पैरेंट इकाइयों से 52.68 लाख चूजे प्रतिमाह उत्पादित हो रहे है।
कुक्कुट विकास नीति 2022 के अन्तर्गत वर्ष 2023-24 में 10,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 45 इकाइयां, 30,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 25 इकाइयां एंव 60,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 19 इकाइयां तथा 10000 ब्रायलर पैरेंट पक्षी की 04 इकाइयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया गया है। प्रदेश में इन 93 इकाईयों के स्थापित होने से रु0 214 करोड़ का अनुमानित निवेश व 8280 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार मिल रहा है।
कुक्कुट विकास नीति 2022 के अन्तर्गत वर्ष 2024-25 में 10,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 09 इकाईयां, 30,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 09 इकाईयां एंव 60,000 कमर्शियल लेयर पक्षी क्षमता की 06 इकाईयां तथा 10000 ब्रायलर पैरेन्ट पक्षी की 02 इकाईयों को भी लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया गया है।
प्रदेश में इन इकाईयों के स्थापित होने से रु0 67.35 करोड़ का अनुमानित निवेश व 3240 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार सृजन हुआ है। वर्ष 2022-23 में 1660.24 लाख खुराक लक्ष्य के सापेक्ष 1090.50 लाख खुराक पशुओं का टीकाकरण किया गया है। वर्ष 2023-24 में 1276.28 लाख खुराक लक्ष्य के सापेक्ष 1238.18 लाख खुराक टीकाकरण किया गया। वर्ष 2024-25 में 1705.60 लाख खुराक लक्ष्य के सापेक्ष माह अगस्त 2024 तक 894.60 लाख खुराक पशुओं की बीमारी का टीकाकरण किया गया है।
प्रदेश में त्वरित गति से नस्ल सुधार हेतु उ०प्र० पशु प्रजनन नीति लागू की गई है। वर्ष 2023-24 में लक्ष्य 212.17 लाख के सापेक्ष 216.18 लाख पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया गया। वर्ष 2024-25 में लक्ष्य 216.300 लाख के सापेक्ष माह अगस्त 2024 तक 101.07 लाख पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया गया। प्रदेश में जोखिम प्रबंधन एवं पशुधन बीमा वर्ष 2023-24 में 1,73,300 लक्ष्य के सापेक्ष 89,084 पशुओं का बीमा किया गया तथा वर्ष 2024-25 में 5,14,666 लक्ष्य के सापेक्ष अद्यतन 56,038 पशुओं का बीमा किया जा चुका है। वर्ष 2023-24 में 41 जनपदों में एल०एस०डी० बीमारी से प्रभावित हुये थे। एल०एस०डी० टीकाकरण लक्ष्य 1,60,00000 के सापेक्ष 1,59,56,700 पशुओं में टीकाकरण किया गया। वर्ष 2024-25 में लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत टीकाकरण किया रहा है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का ध्येय है कि किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो। किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रदेश सरकार ने कई योजनायें, कार्यक्रम संचालित किये हैं। कृषि के साथ-साथ पशुपालन करने से कृषकों की आय में वृद्धि हो रही है। दुधारू पशुओं के पालने से किसानों/पशुपालकों की आर्थिक समृद्धि एवं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। अंडा/कामर्शियल लेयर पक्षी के पालन से भी पालकों की आर्थिक प्रगति हो रही है।

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