लखनऊ : उत्तर प्रदेश में फिलहाल शिक्षा मित्रों का मानदेय नहीं बढ़ेगा। शिक्षा मित्रों की ओर से इस बाबत मुख्यमंत्री से की गई मांग पर बेसिक शिक्षा परिषद ने यह जवाब दिया है। परिषद के सचिव ने कई पुराने शासनादेशों का हवाला देते हुए लिखा है कि यह प्रकरण पोषणीय नहीं है। प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार ने 24 जून और 4 जुलाई को जनता दर्शन में शिक्षा मित्रों की मांगों से जुड़ा मांग पत्र मुख्यमंत्री को दिया था। ये दोनों मांग पत्र आईजीआरएस पर अपलोड किए गए। बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब मांगा गया। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने 22 जुलाई को उस पत्र का जवाब दिया है।
जवाब में उन्होंने लिखा है कि आपने शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि का अनुरोध किया है। इस संबंध में अवगत कराना है कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासन ने शिक्षा मित्रों को साल में 11 माह के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय तय किया था। वह उनको दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश से शासन ने दो बार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में वेटेज देकर समायोजित किया। उसके बाद फरवरी 2023 के शासनादेश के अनुसार 60 वर्ष की आयु में शिक्षा मित्रों की सेवाएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी। ऐसे में आपका प्रकरण कारण पोषणीय नहीं है।
पहले कहा विचार किया जा रहा
इससे पहले अपर शिक्षा निदेशक (कैंप) गणेश कुमार ने 12 जुलाई को इन मांगों के संबंध में जवाब लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि 14 सितंबर 2023 को बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई थी। यह कमिटी शिक्षा मित्रों की मांगों के संबंध में विचार करके अपनी संस्तुति देगी। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा मित्रों की मांगों के संबंध में कार्यवाही की जा रही है। अत: यह प्रकरण निक्षेपित करने का कष्ट करें।