ज्योति त्रिवेदी /धर्म डेस्क : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही व्रत उपवास करने का विधान भी है।
इस बार महाशिवरात्रि का त्यौहार 8 मार्च 2024 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से जातकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान शंकर को बेल पत्र, धतूरा, बेर अर्पित किए जाते हैं। इस दिन कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, जैसे रूद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र के जाप से कई कष्टों का निवारण होता है।
ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति के जीवन के सारे दुख, दरिद्रता दूर हो जाते हैं। कहते हैं कि इस मंत्र के जाप से मृत्यु का संकट तक टल जाता है। दैहिक व्याधियों में यह मंत्र प्रभावी होने के साथ-साथ, अन्य भौतिक और दैविक संताप में भी अत्यंत असरदार है। कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव, महामृत्यंजय मंत्र के जाप से दूर हो जाता है। विशेष अनुष्ठान में इसका जाप सवा लाख बार किया जाता है। उसका दसांश हवन कराया जाता है। इसमें 11 साधकों का सहयोग लिया जाता है।
अकेले भी इसे पूरा किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए नित्य प्रति एक निश्चित संख्या में जप करना अनिवार्य होता है। इस जप और हवन से इच्छित परिणाम की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सामान्य नित्य पूजा में इस मंत्र को शामिल करने से आपदाएं, व्यक्ति से दूर रहती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप स्वास्थ्य लाभ के लिए लाभदायक होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि सुबह पूजा के समय अगर इस मंत्र का जाप किया जाए, तो कई प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शिव जी की आराधना महामृत्युंजय मंत्र के बिना अपूर्ण है। महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के परायण का विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण कैसे किया जाता है-
महामृत्यंजय मंत्र का पुरश्चरण पांच प्रकार का होता है
जाप हवन तर्पण मार्जन ब्राह्मण भोज
पुरश्चरण में जप संख्या, निर्धारित मंत्र के अक्षरों की संख्या पर निर्भर करती है। इसमें “ॐ” और “नम:” को नहीं गिना जाता है। जप संख्या निश्चित होने के उपरान्त, जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज कराने से ही पुरश्चरण पूर्ण होता है।
-परायण हेतु निम्न महामृत्युंजय मत्र का यथाशक्ति जाप करें
“ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।”