विभिन्न संगठनों द्वारा शहीद चौक पर विजय दिवस का हुआ आयोजन

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रेजांग-ला की लड़ाई स्वर्णिम इतिहास में अंकित – शत्रोहन सोनकर। 1962 भारत-चीन युद्ध में मेजर शैतान सिंह ने अदम्य साहस का परिचय दिया

रायबरेली : जिले के विभिन्न संगठनों द्वारा शहीद चौक रायबरेली में 18 नवम्बर 1962 को भारत-चीन युद्ध की गौरवशाली गाथा को याद करते हुए विजय दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पुष्प चक्र स्थापित कर वीर जवानों का स्मरण करने के लिए एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता समाजसेवी कमलेश चौधरी ने एवं संचालन शिक्षाविद् अरशद खान ने किया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए पालिकाध्यक्ष शत्रोहन सोनकर ने कहा कि रेजांग-ला की लड़ाई भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। 1962 भारत-चीन युद्ध में मेजर शैतान सिंह ने अदम्य साहब का परिचय दिया। सपा जिलाध्यक्ष इं. वीरेन्द्र यादव ने कहा कि 18000 फीट से अधिक ऊँचाई पर मेजर शैतान सिंह की कमान में 120 लोगों की कम्पनी ने 1000 से अधिक सैनिकों का तब तक सामना किया, जब तक उनका गोला बारूद खत्म नहीं हो गया। प्रान्तीय व्यापारी नेता मुकेश रस्तोगी ने कहा कि भारतीय सैनिकों का गोला-बारू खत्म हो जाने के बाद उन्होनें अपनी संगीनों और हाथापाई से चीन की सुसज्जित सेना का सामना कर उन्हें मार भगाया। सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओपी यादव ने कहा कि 1962 की लड़ाई में भारत को काफी क्षति उठानी पड़ी, लेकिन 18 नवम्बर 1962 की एैसी वीरगाथा है, जिस पर आज भी भारतीयों को गर्व है। स्वर्णकार समाज के अध्यक्ष भौमेश सोनी ने कहा कि मेजर शैतान सिंह को 1962 के भारत-चीन युद्ध में उनके उत्कृष्ठ नेतृत्व और साहस के लिए उन्हें मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह सर्वोच्च वीरता पुरस्कार जीतने वाले दूसरे सैन्यकर्मी थे। मौर्य समाज के महामंत्री सुशील मौर्य ने कहा कि इस शौर्य पराक्रम भरे युद्ध मंे देश के 110 सैनिक वीरगति को प्राप्त कर शहीद हुए थे। कुर्मी समाज के उपाध्यक्ष योगेश्वर पटेल ने कहा कि 18 नवम्बर 1962 को रेजांग-ला घाटी में भारतीय सैनिकों ने तिरंगा फहराया था, यह घाटी आज भी अहीर धाम के नाम से जानी जाती है। 120 सैनिकों मंे अधिकांश सैनिक अहीर थे। इस अवसर पर आदर्श पटेल एडवोकेट, रोहित चौधरी, संजय सोनकर, प्रदीप पटेल, पवन अग्रहरि, रविशंकर शुक्ल, पंकज शर्मा, अनुज बरवारी, दुर्गेश सोनकर, सुरजीत यादव, शिवबरन, देवा यादव, पप्पू यादव, पप्पू यादव, रमेश कुमार यादव, संदीप पाल आदि लोगों ने पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए उनकी गौरवगाथा पर अपने-अपने विचार रखे।

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