बिगड़ते आर्थिक संकट और लोगों के भारी विरोध के बीच श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने शपथ लेने के एक दिन बाद मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। साबरी ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को लिखे अपने इस्तीफे में कहा, “मैं तत्काल प्रभाव से वित्त मंत्री के पद से अपना इस्तीफा देता हूं।” साबरी ने राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में कहा कि उन्होंने एक अस्थायी उपाय के तहत यह पद संभाला था।
साबरी ने पत्र में कहा, ‘‘आपको हुई असुविधा के लिए मुझे खेद है। हालांकि, विचार-विमर्श करने और वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, अब मेरी महामहिम को सलाह है कि अभूतपूर्व संकट का सामना करने के लिए नए और सक्रिय उपाए किए जाएं, और इस समय एक नए वित्त मंत्री की नियुक्ति सहित अपरंपरागत कदम उठाए जाने की जरूरत है।’’ साबरी सोमवार को राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा नियुक्त चार नए मंत्रियों में शामिल थे।
साबरी पहले न्याय मंत्री थे। वह इस महीने के अंत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ श्रीलंका के आर्थिक संकट पर चर्चा करने के लिए अमेरिका का दौरा करने वाले थे। आईएमएफ ने भी श्रीलंका के हालातों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह स्थिति की ‘बहुत बारीकी से’ निगरानी कर रहा है। श्रीलंका इस समय अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और जनता महंगाई तथा आपूर्ति में कमी के चलते महीनों से परेशान है।
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श्रीलंका में सत्ता पर राजपक्षे की पकड़ हुई कमजोर
श्रीलंका की संसद में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को हासिल बहुमत खतरे में पड़ गया है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की अगुवाई में असंतुष्ट सांसद सरकार से हटने की योजना बना रहे हैं। राष्ट्रपति द्वारा पिछले सप्ताह आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद देश की 225 सदस्यीय संसद मंगलवार को अपने पहले सत्र का कामकाज शुरू करेगी।
पार्टी सूत्रों ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा कि पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की अगुवाई में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के असंतुष्ट सांसद सत्तारूढ़ श्रीलंका पी कोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन का दामन छोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी के 14 सांसद यह कदम उठा सकते हैं।
असंतुष्ट सांसद उदय गमनपिला ने सोमवार को कहा कि सरकारी बजट पर मतदान के दौरान गठबंधन के पास 225 सांसदों में से 157 का समर्थन था, लेकिन अब 50 से 60 सदस्य इससे अलग होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप सरकार न सिर्फ दो-तिहाई बहुमत खो देगी, बल्कि सामान्य बहुमत जो 113 है, उसे भी गंवा देगी।