लखनऊ : सरकार का मानना है कि पूर्व की सरकारों में अरबों रुपये की नजूल जमीन को कौड़ियों में फ्रीहोल्ड करने का बड़ा खेल किया जाता रहा है। इसमें लिप्त भू-माफिया से लेकर नेता और नौकरशाह ही जनहित को ढाल बनाकर अपने हितों को साधने के लिए विरोध कर रहे हैं। कानून के लागू होने से न केवल अरबों रुपये की नजूल जमीन का सार्वजनिक हित में
इस्तेमाल किया जा सकेगा बल्कि पूर्व में गड़बड़ी कर नजूल जमीन को फ्रीहोल्ड कराने का खेल भी उजागर होगा।
प्रदेश में दो लाख करोड़ की है 75 हजार एकड़ नजूल भूमि
प्रदेश में लगभग 75 हजार एकड़ नजूल जमीन है, जिसकी कीमत दो लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। नजूल जमीन पर कब्जे के विवाद भी कम नहीं हैं। कई कीमती व बड़ी जमीनों पर भूमाफिया व रसूखदार लोगों का कब्जा भी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमाफिया के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया था। बीते लगभग सवा चार साल में राजस्व व पुलिस विभाग ने भूमाफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई है।
राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1,54,249 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है। 2,464 कब्जेदारों को चिन्हित कर 187 भूमाफिया को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इन मामलों में 22,992 राजस्व वाद, 857 सिविल वाद व 4,407 एफआइआर दर्ज कराई गईं।
प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों व रसूख के बलबूते नजूल भूमि पर कब्जे तथा उसे फ्रीहोल्ड करा लेने का खेल काफी पुराना है। सरकारी जमीनों को सर्किल रेट का केवल 10 प्रतिशत भुगतान कर फ्रीहोल्ड कराने का खेल चलता रहा है।
सर्वाधिक नजूल भूमि प्रयागराज, कानपुर, अयोध्या, सुलतानपु, गोंडा व बाराबंकी में हैं। नजूल की जमीनों को फ्रीहोल्ड कराने का सबसे बड़ा केंद्र प्रयागराज रहा है, जहां सिवालि लाइन क्षेत्र की अधिकतर जमीन नजूल की है।
जल्द किया जाएगा प्रवर समिति का गठन
सूत्रों के मुताबिक, चूंकि विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है जिससे वास्तव में जनता में किसी तरह की नाराजगी बढ़े इसलिए सरकार अंततः इस कानून को लागू करेगी। विधेयक को लेकर जल्द ही प्रवर समिति का गठन किया जाएगा।
वैसे तो प्रवर समिति के अध्यक्ष विभागीय मंत्री होते रहे हैं लेकिन आवास एवं शहरी नियोजन विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास ही है इसलिए माना जा रहा है कि किसी और मंत्री को प्रवर समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा।