न्यू दिल्ली: कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्या प्रेम संस्कृति न्यास की ओर श्रीमती विद्या पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस वर्ष का “प्रेम रत्न सम्मान” डॉ श्रीमती सविता चडढा, सुप्रतिष्ठित साहित्यकार को दिया गया। प्रेम-रत्न’ से सम्मानित डॉ. सविता चड्ढा ने सम्मान के प्रति आत्मीयता भरे शब्द कहे। उन्होंने कहा कि है ‘प्रेम रत्न’ सम्मान डॉ. कल्पना पांडेय के पिता श्री प्रेम किशोर पांडेय जी को
समर्पित है इसलिए आज से इस वे भी डॉ कल्पना पांडेय के लिए पिता तुल्य हो गईं हैं । उन्होंने स्वर्गीय श्री प्रेम किशोर पांडेय की कविता “तुझको क्या हो गया बनारस “की कुछ पंक्तियां भी पढ़ीं-किसकी…..किसकी काली छाया पड़ी कि तू असहाय हो गया, अपनी संस्कृति की रक्षा में क्यूंकर तू निरुपाय हो गया।”
श्री अजीज सिद्दीकी, श्री अनिल जोशी, श्री एस जी एस सिसोदिया ,पंडित सुरेश नीरव ,श्री रामस्वरूप दीक्षित ,डॉ पुष्पा सिंह बिसेन की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की ।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती सविता चड्ढा वर्ष 1984 से लेखन कार्य कर कर रही है और विभिन्न विधाओं पर आप की अब तक 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं।
आपका लेखन बहुआयामी है आपके 17 कहानी संग्रह, 12 पत्रकारिता विषयक पुस्तकें प्रकाशित है जिनमें से चार विभिन्न संस्थानों में पाठ्यक्रम में संस्तुत हैं, 11 लेख संग्रह, 2 उपन्यास ,11 काव्य की पुस्तकें तो प्रकाशित हैं ही । समय-समय पर आप आपकी कहानियों पर टेली फिल्में बनी है ,नाटक मंचन हुए हैं, अनुवाद हुए हैं, आपकी कहानियों पर शोध कार्य संपन्न हो चुके हैं । राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपके लेखन को समाजोपयोगी स्वीकार किया गया है । आपके साहित्यिक यात्राओं का उल्लेख किया जाए तो विभिन्न संस्थाओं में आपकी सक्रियता और उपस्थिति ने साहित्य को नई ऊंचाइयों प्रदान की है। आपकी निरंतर साहित्य साधना के लिए आपको विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित किया गया है और आप इन सभी सामानों के लिए ईश्वर का, पाठकों का आभार व्यक्त करती हैं। आपका कहना है मिलने वाले पुरस्कार और सम्मान आपको भविष्य में श्रेष्ठ और अच्छे लेखन के लिए उत्साहित करते हैं।
इस अवसर पर डॉ कल्पना पांडेय ‘नवग्रह ‘ द्वारा संपादित पुस्तक “तुझको क्या हो गया बनारस” के अनावरण का लोकार्पण भी हुआ ।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती शकुंतला मित्तल जी ने किया।
सभा में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों में श्री अतुल प्रभाकर, डॉ शारदा मिश्रा, श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव , श्रीमती वीना अग्रवाल, श्रीमती चंचल वशिष्ठ श्रीमती निरंजन शर्मा, श्री सरोज जोशी, श्री संजय गर्ग, श्री कुमार सुबोध, ने उपस्थित होकर आज के कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। अंत में आयोजन में आए हुए सभी अतिथियों का दिल से धन्यवाद देते हुए विद्या-प्रेम संस्कृति न्यास के संरक्षक डॉ. आर. के. सिंह ने किया सभी का आभार व्यक्त किया।