आ० डॉ सविता चड्ढा जी की “अध्यक्षता” में संपन्न हुआ “तिरंगा काव्य समारोह”

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नई दिल्ली : ‘ तिरंगा हमारी आन – बान और शान है। इसकी हिफाज़त हम सब भारतीयों का काम है। इसकी रक्षा में हमारे जवान हर समय तैयार हैं। ‘ -यह उद्गार अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री और लेखिका डा. सविता चड्ढा ने, क्रिएटिव अनलॉक, पालम एक्सटेंशन सेक्टर 7 में आयोजित “ तिरंगा काव्य समारोह “ की अध्यक्षता के दौरान व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा – ‘ जो हमसे टकरायेगा, चूर -चूर हो जायेगा। ‘

कार्यक्रम की “मुख्य अतिथि” के रूप में आगरा से पधारी ओज विधा की राष्ट्रीय कवयित्री और भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता “अंशू छौंकर अवनी” ने अपने ओज भरे अंदाज में कहा – ‘ मैं भी इस मिट्टी का कर्ज चुकाऊंगी। ‘

पंतनगर की धरती से आए “अति विशिष्ट अतिथि” गजलकार डा. के. पी सिंह ‘ विकल ‘ ने कहा – इतनी गुंजाइश रखना यार खता भी हो सकती है जाने अनजाने में
“विशिष्ट अतिथि” आशुकवि शिक्षक और पत्रकार आ० “के पी एस चौहान “ इंदौर एम पी से आए और अपनी आशु कविताओं से आनंदित किया।

स्वाधीनता दिवस के लगभग पखवाड़ा पूर्व आयोजित इस कार्यक्रम में देश भक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन “पोएट्री विद मोहिनी” दिल्ली संस्था के तत्वावधान में दिनांक 4 अगस्त 2024 दिन रविवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कवि तरूण तरंग की चिरपरिचित सुरीली आवाज में माँ सरस्वती की पूजा अर्चना और वाणी वंदना से हुआ। उसके बाद उपस्थित सभी साहित्यकारों द्वारा राष्ट्रगान गाया गया।

तत्पश्चात “महफ़िल- ए – समागम” “तिरंगा काव्य समारोह” की शुरुआत की गई। वहाँ उपस्थित एक से बढ़कर एक धुरंधर रचना कारों ने राष्ट्र प्रेम, मित्रता दिवस आदि-2 के संबंध में सुमधुर रचना पाठ किया।

जितेंद्र यादव ‘ चंबल ‘ ने खुदकुशी पर तंज कसते हुए पढ़ा – हर समस्या का हल तो नहीं खुदकुशी,
दिल्ली से पधारे कवि साहित्यकार और पत्रकार सुभाष श्रीवास्तव ने अपनी देश भक्ति को कुछ इस तरह बयां किया- मेरा देश रंगीला है, रंगीला रंग रंगीला है। माँ का चूनर हरा है, पिता ब्योम नीला है।

पोएट्री विद मोहिनी की संस्थापिका , संचालिका और श्रंगार रस की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुमन मोहिनी सलोनी ने अपनी ग़ज़ल पढ़ी और खूब तालियाँ बटोरी, ग़ज़ल का मतला इस प्रकार था – रूठी ये है गजल मुझसे, रूबाई देती है ताना। गली से आजकल उसकी नहीं होता है अब जाना ।

हरियाणा गौरव सुनील शर्मा ने तरन्नुम में समा बांधा – वतन मेरा मुस्काता जब, मैं भी मुस्काता हूँ।
संचालन कर रहे ललित मोहन जोशी ने कहा – गम से रिश्ता अब भुलाया जायेगा। एक नया रिश्ता अब बनाया जायेगा।।

युवा दिलों की धड़कन अभिषेक मिश्रा ‘ अभि ‘ ने कहा- ये दिल्ली है दिलवालों की, न मेरी न, घरवालों की, संयोजन समिति के सदस्य और सुप्रसिद्ध रचनाकार ॠषि मौर्य ने कहा – मोहब्बत करने वाले जाल नहीं बिछाते, जमशेदपुर से आई संजुला सिंह ‘ संजू ‘ ने नारी रूप को इस तरह बताया – नारी कोमल है निर्मला, नारी अबला नहीं अब है सबला, गुरूग्राम से आए व्यंगकार कृष्ण राघव ने व्यंग्य रचना से आहलादित किया, वैदिक प्रकाशन की प्रकाशिका, संपादिका और कवयित्री प्रशस्ति सचदेव ने सुमधुर भजन और कुसुम लता सिंह ने कजरी गाया, दिल्ली की चेतना गौतम ने मित्रता के संबंध में कहा – दोस्त दवा है, दुआ है। रितु रस्तोगी ने कहा – रोज लड़ती हूँ, जिंदगी में जिंदगी के लिए, कवि पवन मलहोत्रा ने राष्ट्र प्रेम में पढ़ा- मेरा भारत मेरी आन- बान – शान है, ठेठ मलिहाबादी लखनऊ से आए गिरराज किशोर शर्मा ने मित्रता पर मधुर आवाज में पढ़ा – मित्र बनने बनाने में बहुत कुछ सहना पड़ता है, ओज की कवयित्री कंचन वार्ष्णेय ने कहा – स्वतंत्रता दिवस मनाना है। खुशियों के गीत गाना है, दिल्ली से ही उमा जैन ने कविता सुनाई -दोस्ती दिल से करती हूँ, दिल से निभाती हूं, देश भक्ति को दयाराम खारवाल ने यूँ पढ़ा – मेरे लिए इस देश से ज्यादा बड़ा कोई नहीं।
इसके अलावा इन साहित्यकारों की रचनाएं भी सराहनीय रहीं और तालियां बटोरी। जिनके नाम क्रमशः गुरूग्राम से अश्वनी यादव, अजमेर से अजय जैन, प्रमोद प्रजापति, वीरेंद्र बेधड़क, विवेक तिवारी, बुराड़ी से तरूण तरंग, जौनपुर से प्रवीण रंजन, गाजियाबाद से पी के शायर, फैज़ाबाद से सैयद बदरूद्दुजा, सुनीता कुमारी प्रसाद, निट्टू नैन, महेन्द्र सिंह, सेंटी अमरजीत, राकेश मोहन गुप्ता, क्रियेटिव अनलाक की प्रबंधक गिरिका बतरा , आदि-2 साहित्यकारों एवं श्रोताओं की सराहनीय उपस्थिति ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया।

समारोह का सफलता पूर्वक संचालन सुमन मोहिनी सलोनी और ललित जोशी ने संयुक्त रूप में किया।

संयोजक समिति के सदस्यों ललित मोहन जोशी, ऋषि मौर्य, अभिषेक मिश्रा अभि, गिरिराज किशोर शर्मा , तरुण तरंग एवं प्रायोजक हित प्रकाश कटारिया के कार्य की संस्थापकों सुमन मोहिनी सलोनी द्वारा सराहना की गई और बताया कि उनकी टीम एक जुट होकर इस कार्यक्रम की तैयारी में लगभग दो महीनों से लगी हुई थी तब जाकर इस कार्यक्रम को अपार सफलता हासिल हुई है । सलोनी जी का मानना है कि अकेले हम कुछ भी नहीं लेकिन एकजुट होकर हम मुश्किल से मुश्किल काम को भी अंजाम से सकते हैं उसी एकजुटता का स्वरूप इस कार्यक्रम में देखने को मिला ।
कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा करते हुए अंत में “पोएट्री विद मोहिनी” दिल्ली संस्था की संस्थापिका सुमन मोहिनी सलोनी ने सभी आगंतुकों का करबद्ध आभार व्यक्त करये हुए विश्वास दिलाया कि आगामी कार्यक्रम इससे भी बेहतर आयोजित करने का प्रयास रहेगा ।

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