उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित सबसे बड़ी और पुरानी फूल मंडी पर चला बाबा का बुलडोजर

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लखनऊ : लखनऊ की सबसे बड़ी फूल मंडी पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया। हुसैनाबाद ट्रस्ट की जमीन को 100 साल के लिए 2001 में लीज पर दी गई थी। लेकिन प्रशासन ने 26 जून 2024 तक खुद से खाली करने का नोटिस जारी कर दिया था।
गुरुवार दोपहर प्रशासन की टीम चौक स्थित कंचन मार्केट के सामने फूल मंडी में बुलडोजर के साथ पहुंची। यहां सुबह से ही व्यापारी फूल बेच रहे थे। बुलडोजर देख व्यापारियों में अफरातफरी मच गई। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस भी मौजूद रही।

इसी मंडी से अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए फूल भेजे गए थे। मंडी को बचाने के लिए व्यापारी ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से भी अपील की थी। डिप्टी सीएम ने दुकान नहीं हटाए जाने का आश्वासन भी दिया था। बावजूद प्रशासन ने मंडी पर बुलडोजर चला दिया। वहीं 29 सितंबर 2019 को फूल मार्केट को विभूति खंड में शिफ्ट करने का फैसला किया गया था
किसान बाजार में शिफ्ट की गई दुकान

फूल मंडी में करीब 120 से ज्यादा दुकानें थीं। चौक की फूल मंडी प्रदेश की सबसे पुरानी फूल मंडियों में से एक है। यहां की दुकानों को विभूति खंड में किसान बाजार में शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि फूल मंडी के किसानों का कहना है कि यहां के कारोबार से 120 परिवार जुड़े हैं, लेकिन सिर्फ 7 दुकानें ही आवंटित की गई हैं। ऐसे में कैसे व्यापार संभव हो पाएगा।
4 दशक से चल रहा कारोबार उजड़ा

दुकानदार अयाज ने कहा- बीते चार दशक से हमारा परिवार यहां पर फूल का कारोबार करता आ रहा है। प्रशासन ने नोटिस देकर कहा कि सभी की दुकानें किसान बाजार में शिफ्ट कर दी गई हैं। वहां पर केवल 7 दुकानें हैं। न तो वहां पर आने-जाने का कोई साधन है। न ही कोई सुविधा। ऐसे में केवल 7 दुकानों में कैसे 120 परिवार फूल का कारोबार करेंगे।

अयाज ने कहा- प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर हमारी छत छीन ली है। हम सभी खुले आसमान के नीचे अपनी दुकान लगाएंगे। हमारी मांग है कि फूल मंडी दुबग्गा सब्जी मंडी में या चौक के किसी बाजार में शिफ्ट कर दी जाए। मंडी परिषद वाले तानाशाही रवैया अपना रहे हैं।
नवंबर 2001 में लीज पर दी गई थी जमीन

प्रशासन ने हुसैनाबाद ट्रस्ट की जमीन को 9 नवंबर 2001 में फूल व्यापार कल्याण समिति को लीज पर दी थी। यह लीज 100 साल के लिए थी। लेकिन 2024 में अचानक प्रशासन ने लीज कैंसिल कर दी। नगर निगम ने फूल मंडी को हटाने के लिए पहले ही नोटिस दिया था। वहीं हुसैनाबाद ट्रस्ट ने भी मंडी हटाने के लिए समिति को नोटिस दिया था। ट्रस्ट का कहना है कि ​​​​​​यह संपत्ति हमारी है।

नेताओं के स्वागत के लिए यहीं से जाते थे फूल

फूल व्यापारी मोहम्मद अयाज ने बताया कि उत्तर प्रदेश की यह सबसे पुरानी और बड़ी फूल मंडी है। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दो बार यहां से फूल भेजा गया था। इसके अलावा लखनऊ के जो भी पुराने मंदिर हैं, जैसे- हनुमान सेतु, मनकामेश्वर महादेव, बुद्धेश्वर महादेव, कालीबाड़ी मंदिर समेत तमाम मंदिर और दरगाहों पर यहीं से फूल जाता है।
अयाज ने बताया- देश के बड़े नेताओं के स्वागत और सम्मान के लिए भी फूल यहीं से जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व मंत्री लालजी टंडन समेत, लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं के लिए फूल और माला यहां से जाता है।
अयाज ने बताया- किसान यूपी के अलग-अलग जिलों से फूल लेकर आते हैं। उन्हें गोमती नगर जाने में सबसे ज्यादा दिक्कत होगी। नई जगह पर ग्राहक नहीं मिलेंगे। गोमती नगर जाने में सवारी और साधन की भी असुविधा है। उन्होंने बताया कि किसानों का कहना है कि वह अपनी फूल की खेती खत्म कर देगा, मगर यहां से दूसरी जगह नहीं जाएगा।
3 लाख रुपए से ज्यादा का रोजाना कारोबार

स्थानीय कारोबारियों ने बताया कि रोजाना सुबह तीन से चार घंटे तक फूल मंडी लगती थी। यहां पर रोजाना लगभग 3 लाख रुपए का कारोबार होता था। यहां के फूल शहर के सभी लोकेशन पर भेजे जाते थे।

2010 में मिला था पहला नोटिस

फूल व्यापारी कल्याण समिति के सचिव मोहम्मद अय्यूब ने बताया- बड़े इमामबाड़ा के पीछे वाली गली में फूल मंडी लगती थी। 2001 में फूल वाली गली से निकलकर हुसैनाबाद ट्रस्ट की जमीन पर मंडी लगने लगी। 2010 में शासन की ओर से पहला नोटिस दिया गया था। तब कहा गया था कि मंडी को किसान बाजार में शिफ्ट किया जाए। उस समय किसानों के विरोध से मामला शांत हो गया था। नवंबर 2023 में हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से नोटिस जारी हुआ था।

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