रायबरेली : जिला कृषि अधिकारी ने बताया है कि पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आते हैं। एन.पी.के. एवं टी.एस.पी. उर्वरक सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी तथा फास्फोरस की उच्च आवश्यकता वाली फसलों के लिए उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि एन.पी.के. में मौजूद नाइट्रोजन पौधों के वानस्पतिक विकास, जड़ों की तेजी से वृद्धि, प्रोटीन व विटामिन के निर्माण के लिए सहायक है, फास्फोरस पौधों के जड़ प्रणाली को विकसित करने, स्वस्थ्य बीज निर्माण व वजन बढ़ाने, फूल व फल के बनने में, दलहनी फसलों में जड़ों की ग्रंथियों के निर्माण के लिए उपयोगी है। पोटाश पौधों के कीट/रोगों से लड़नें में, प्रकाश संश्लेषण में, शर्करा के निर्माण एवं स्थानान्तरण में, पौधों के गिरने से बचाने में एवं जल के अवशोषण को बढ़ाने में उपयोगी है।
जनपद में वर्तमान में विभित्र ग्रेड के एन.पी.के. जैसे- 20:20:0, 20:20:0:13, 19:19:19, 10:26:26, 16:16:16 एवं 12:32:16 आदि फास्फेटिक उर्वरक के रूप में किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे है। किसान भाई अपनी सुविधानुसार डी.ए.पी. के स्थान पर इन ग्रेड के उर्वरकों को फास्फेटिक उर्वरक के रूप में प्रयोग कर सकते है।
वर्तमान में जनपद में कुल 4225 मी.टन एन.पी. के. निजी एवं सहकारी विक्रय केन्द्रों/गोदामों में उपलब्ध है। 01 अक्टूबर 2024 से 03 नवम्बर 2024 के मध्य 2487 मी.टन एन.पी. के. की बिक्री हुई है, जबकि 01 अक्टूबर 2023 से 03 नवम्बर 2023 के मध्य 886 मी.टन की विक्री हुई थी। इस प्रकार विगत वर्ष की तुलना में इसी समयावधि में चालू रबी सीज़न में 1601 मी.टन एन.पी. के. की अधिक विक्री हुई है। फास्फेटिक उर्वरकों में डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर एन.पी. के. एवं टी एस पी (ट्रिपल सुपर फास्फेट 0:46:0) अच्छा विकल्प है जिसमें डी.ए.पी. से मिलने वाला फास्फोरस तत्व, इनके प्रयोग से भी फसलों को प्राप्त हो जाता है। टी एस पी (ट्रिपल सुपर फास्फेट 0:46:0) में फास्फोरस की मात्रा 46 प्रतिशत होती है। फास्फेटिक उर्वरक (डी.ए.पी., एन.पी. के., एस.एस.पी.) जनपद में समुचित मात्रा में उपलब्ध है तथा टी एस पी शीघ्र ही प्राप्त होगा। उर्वरक समय के साथ जनपद की आवश्यकता के अनुरूप प्राप्त हो रहे हैं। आने वाले दो से तीन दिवस में जी एस ऍफ़ सी कम्पनी का 20:20:0:13 एन पी एस मात्रा 1300 मी.टन एवं पी पी एल कम्पनी का टी एस पी मात्रा 1300 मी.टन निजी क्षेत्र में प्राप्त होने की सम्भावना है, जो निजी विक्रय केन्द्रों पर उपलब्ध होगा।
जिला कृषि अधिकारी ने किसान भाईयों से कहा है कि फास्फेटिक उर्वरक के रूप में एन पी. के. एवं टी एस पी (ट्रिपल सुपर फास्फेट 0:46:0) का प्रयोग सभी रबी फसलों की बुआई के समय बेसल ड्रेसिंग के रूप में करें।