फास्फेटिक उर्वरकों के रूप में एन.पी. के. का फसल बुआई के समय करें प्रयोग

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जनपद में कुल 5035 मी.टन एन.पी.के. निजी एवं सहकारी विक्रय केन्द्रों/गोदामों में उपलब्ध

रायबरेली : जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आते हैं। अगर तीनों को एक साथ उपयोग किया जाये तो पौधों को यह सभी पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं तथा भूमि में इनका संतुलन भी बना रहता है। इस उर्वरक के प्रयोग से फसलों के विकास एवं उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। यह उर्वरक बीज अंकुरण और प्रारंभिक विकास में सहायता करता है तथा जड़ों की मजबूत वृद्धि को सुगम बनाता है, फूलों एवं फलों के विकास में मदद एवं गुणवत्ता में सुधार करता है, जल में घुलनशील एवं पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित होता है, मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखता है, सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी तथा फास्फोरस की उच्च आवश्यकता वाली फसलों के लिए उपयुक्त है।
एन.पी. के. में मौजूद नाइट्रोजन पौधों के वानस्पतिक विकास, जड़ों की तेजी से वृद्धि, प्रोटीन व विटामिन के निर्माण के लिए सहायक है, फास्फोरस पौधों के जड़ प्रणाली को विकसित करने, स्वस्थ्य बीज निर्माण व वजन बढ़ाने, फूल व फल के बनने में, दलहनी फसलों में जड़ों की ग्रंथियों के निर्माण के लिए उपयोगी है। पोटाश पौधों के कीट/रोगों से लड़ने में, प्रकाश संश्लेषण में, शर्करा के निर्माण एवं स्थानान्तरण में, पौधों के गिरने से बचाने में एवं जल के अवशोषण को बढ़ाने में उपयोगी है।
जनपद में वर्तमान में विभिन्न ग्रेड के एन.पी.के. जैसे- 20:20:0, 20:20:0:13, 19:19:19, 10:26:26, 16:16:16 एवं 12:32:16 आदि फास्फेटिक उर्वरक के रूप में किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे है। किसान भाई अपनी सुविधानुसार डी.ए.पी. के स्थान पर इन ग्रेड के उर्वरकों को फास्फेटिक उर्वरक के रूप में प्रयोग कर सकते है।
वर्तमान में जनपद में कुल 5035 मी.टन एन.पी. के. निजी एवं सहकारी विक्रय केन्द्रों/गोदामों में उपलब्ध है। 1 अक्टूबर 2024 से 22 अक्टूबर 2024 के मध्य 1676 मी.टन एन.पी. के. की बिक्री हुई है, जबकि 1 अक्टूबर 2023 से 22 अक्टूबर 2023 के मध्य 382 मी. टन की बिक्री हुई थी इस प्रकार चालू रबी सीज़न में 1294 मी. टन एन.पी.के. की अधिक बिक्री हुई है। फास्फेटिक उर्वरकों में डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर एन.पी. के. एक अच्छा विकल्प है जिसमें डी.ए.पी. से मिलने वाला फास्फोरस तत्व, एन.पी. के. के प्रयोग से भी फसलों को प्राप्त हो जाता है। फास्फेटिक उर्वरक (डी.ए.पी., एन.पी.के., एस.एस.पी.) जनपद में समुचित मात्रा में उपलब्ध है तथा समय के साथ जनपद की आवश्यकता के अनुरूप प्राप्त हो रहे हैं।
जिला कृषि अधिकारी ने किसान भाइयों से कहा है कि फास्फेटिक उर्वरक के रूप में ए.पी.के. का प्रयोग सभी रबी फसलों की बुआई के समय बेसल ड्रेसिंग के रूप में करें।

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