जनपद अमेठी में त्यौहारों एवं पर्व के दृष्टिगत जन-जागरूकता प्रशिक्षण अभियान किया गया संचालित

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अमेठी : केएनएस लाइव से संवादाता दिवाकर मणि त्रिपाठी की रिपोर्ट में मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि जनपद में आगामी त्यौहारों दुर्गापूजा, दशहरा एवं दीपावली पर्व को दृष्टिगत रखते हुये पुलिस अधीक्षक अमेठी के आदेशानुसार अग्निशमन एवं आपात सेवा केन्द्र अमेठी द्वारा अग्नि सुरक्षा जन-जागरूकता प्रशिक्षण अभियान चलाया गया तथा जन-जागरूकता प्रशिक्षण अभियान में अग्निशमन अधिकारी अमेठी शिवदरस प्रसाद ने पूरी टीम के साथ द्वारा पूरे लोधन हरगांव, पूरे ठकुराइन पश्चिम, पूरे दुलीभाट मजरे नदियावां, पूरे तिवारी, मवई थाना जामो क्षेत्रान्तर्गत गौरीगंज में लगे पाण्डालों, राजकीय महिला पालीटेक्निक अमेठी, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय गौरीगंज में अभियान चलाकर पाण्डालों में दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्यों, बालिकाओं, छात्राओं, अध्यापक-अध्यापिकाओं एवं स्टाफ को जागरुक करते हुए आग लगने के सम्भावित कारकों के बारे में विस्तार से जानकारी देकर विभिन्न प्रकार के फायर एक्सटिंग्यूशरों को चलाने के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए उनके रख-रखाव के सम्बन्ध में प्रशिक्षण देकर जागरुक किया। उन्होंने बताया कि उक्त अभियान के दौरान दुर्गा पूजा हेतु बनाये गए अस्थायी पंडालों के ढांचागत सुरक्षा व्यवस्था एवं अग्नि सुरक्षा व जीव रक्षा के लिए भारतीय मानक ब्यूरो आई0एस0-8758-1993 के संशोधित-2018 में दिए गए विस्तृत दिशा-निर्देशों, बचाव एवं सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी देकर विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। इस क्रम में उन्होंने बताया कि पण्डाल बनाने में सिन्थेटिक सामग्री से बने कपड़े या रस्सी का प्रयोग न किया जाए, पण्डाल के चारों तरफ 4.5 मी0 खुला स्थान हो जिससे लोग सुरक्षित बाहर निकल सके, कोई भी पण्डाल बिजली के वायर के नीचे न लगाया जाय एवं चिमनी या भट्टी से कम से कम 15 मी0 दूर बनाया जाय, बाहर निकलने का गेट 5 मी0 से अधिक चौड़ा होना चाहिये और अगर रास्ता मेहराबदान (आर्च) बनाया जाये तो भूतल से ऊँचाई 5 मी0 से अधिक होनी चाहिए, सड़क से पण्डाल की दूरी 45 मी0 से अधिक किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए जिससे फायर सर्विस की मशीनें घटनास्थल तक पहुँच सकें, पण्डाल की ऊंचाई 3 मी0 से अधिक होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि पण्डाल में जाने और बाहर निकलने का रास्ता गुफा की तरह नहीं होना चाहिए, बाहर निकलने के कम से कम दो रास्ते होने चाहिए जिससे किसी आपातकाल में एक रास्ता अवरूद्ध हो जाने पर दूसरे रास्ते से निकला जा सके। जहाँ तक सम्भव हो सके दोनों रास्ते एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो, गेट या मुख्य गेट बनाया जाता है तो उसकी ऊंचाई भूतल से 5 मी0 से अधिक हो, बाहर निकलने के गेट समुचित संख्या में बनाये जायें कि किसी भी दशा में पण्डाल के किसी भी स्थान से किसी व्यक्ति को बाहर निकलने हेतु 15 मी0 से अधिक दूरी न तय करनी पड़े, कुर्सियों किनारे से 1.2 मी0 जगह छोड़कर लगायी जाये व 12 कुर्सियों के बाद 1.5 मी0 की जगह छोड़ी जाये एवं इसके बाद पुनः 12 कुर्सियां लगाई जा सकती है, कुर्सियों की 10 कतारों के बाद 1.5 मी0 की जगह छोड़ी जाय, कुर्सियों को 4-4 के समूह में नीचे से बांध कर जमीन में लोहे की छड़ गाड़कर स्थिर कर दिया जाये जिससे भगदड़ के समय वह कुर्सियों अव्यवस्थित होकर बाहर निकलने के मागों को अवरूद्ध न कर दें। उन्होंने बताया कि बिजली की व्यवस्था विद्युत कार्य के लाइसेन्सधारी ठेकेदारों से ही कराई जाये, तारों के जोड़ किसी भी दशा में खुले नहीं होने चाहिए, कटे एवं खुले तारों को टेपिंग के स्थान पर पोर्सलीन कनेक्टरों का प्रयोग करना चाहिए, इमरजेन्सी लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए, विद्युत का कोई भी सर्किट, बल्ब, ट्यूब लाइट आदि पण्डाल के किसी भी भाग से कम से कम 15 सेमी० दूर हो व हाईलोजन लाईट का प्रयोग नहीं किया जाएगा, सर्किट एम०सी०बी० एवं एल०सी०बी० की व्यवस्था की जाये, विद्युत सुरक्षा सम्बन्धित प्रमाण पत्र विद्युत सुरक्षा विभाग से प्राप्त किया जाये, धूम्रपान निषेध का बोर्ड सहज दृष्टया स्थानों पर लगाया जाये, फायर स्टेशन एवं आपात कालीन के टेलीफोन नम्बर का बोर्ड लगाया जाये। उन्होंने बताया कि पण्डाल के अन्दर किसी भी दशा में भट्टी का प्रयोग न किया जाय अथवा टीन शेड लगाया जाये जो पण्डाल से अलग हो, पण्डाल अग्नि सुरक्षा हेतु 0.75 लीटर पानी प्रति वर्ग मी0 स्थान हेतु ड्रम या बाल्टियों में सुरक्षित रखा जाये व इसका प्रयोग अग्निशमन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में कदापि न किया जाये तथा कुल पानी की आधी मात्रा पण्डाल के अन्दर व आधी पण्डाल के बाहर रखी जाये, कम से कम 2 बाल्टी पानी प्रत्येक 50 वर्ग मी0 जगह हेतु व फायर एक्सटिंग्यूशर 9 लीटर क्षमता का वाटर टाइप प्रत्येक 100 वर्गमीटर स्थान हेतु अग्नि सुरक्षा हेतु उपलब्ध रखा जाये, विद्युत आग से सुरक्षा हेतु सी0ओ02 टाइप एक्सटिंग्यूशर या एबीसी टाइप एक्सटिंग्यूशर स्विच गेयर, मेन मीटर और स्टेज के पास लगाया जाये अर्थात 06 किग्रा0 क्षमता का 06 अदद फायर एक्सटिंग्यूशर लगाया जाय, पण्डाल या अस्थायी निर्माण में जहाँ तक सम्भव हो आसानी से न जलने वाले पदार्थों का उपयोग किया जाय किन्तु अगर ज्वलनशील पदार्थों के सामानों का प्रयोग किया जाय तो उन्हें अग्नि निरोधक घोल में डुबोकर सुखा लिया जाय अग्नि निरोधक घोल को अमोनियम सल्फेट-4 भाग, अमोनियम कार्बाेनेट-2 भाग, बोरेक्स-1 भाग, बोरिक एसिड-1 भाग, एलम (फिटकरी)-2 भाग पानी-35 भाग को मिलाकर तैयार कर सकते है तथा फायर वालिन्टीयर्स की 04 टीम बनाए जो 02 शिफ्टों में निगरानी करें तथा पण्डाल में आने-जाने वाले लोगों को अग्नि सुरक्षा व जीवरक्षा के सम्बन्ध में जागरुक करें। इस सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि उक्त जन-जागरूकता अभियान के दौरान उपस्थित स्टाफ व आम जनमानस सहित अग्निशमन तथा आपात सेवा केन्द्र अमेठी के प्रशिक्षक फायर सर्विस चालक राजेन्द्र प्रसाद दूबे, फायरमैन आशीष सिंह, फायरमैन रणजीत यादव ने प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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