क्या है फूड प्रोसेसिंग इकाई(यूनिट) —–
फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री काफी बड़ा क्षेत्र है। इसमें खाद्य सामग्री और पेय पदार्थों को प्रोसेस करके रखा जाता है। फूड प्रोसेसिंग एक तरह की टेक्नोलॉजी है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का अर्थ ऐसी गतिविधियों से है जिसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्धन किया जाता है। भारत में लोगों की तेजी से बदलती जीवन शैली ने खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग में लगातार बदोत्तरी हो रही है। ऐसे में किसान और कारोबारी इस क्षेत्र में निवेश कर नया मुकाम बना सकते है। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। इसके अनुसार नई इकाई लगाने मौजूदा इकाई का आधुनिकीकरण करने, तकनीकी सहायता, आदि के लिए सहायता मिल रही है। भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में प्रसंस्कृत खाद्य के उत्पादन और निर्यात की पर्याप्त संभावनाएं है।
देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 25 लाख इकाइयां ——————
देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में लगभग 25 लाख इकाइयां काम करा रहीं है। इनमे से लगभग 66% इकाइयां ग्रामीण क्षेत्रों में है और लगभग 80% उद्यम परिवार आधारित है।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने में सहायक होंगी ये इकाइयां —————
यह उद्यम ग्रामीण पारिवारिक आजीविका को बढ़ाने और ग्रामीणों के शहरी क्षेत्रों में पलायन को कम करने में सहायक है। आज ग्रामीण स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों की उपलब्धता,प्रशिक्षण,संस्थागत ऋण की उपलब्धता,उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के संबंध में जानकारी,तथा सामग्री की पैकेजिंग,ब्रांडिंग और मार्केटिंग के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण और वेल्यू एडिशन पर सही मार्गदर्शन उपलब्ध कराकर युवाओं को सशक्त किया जायेगा इन इकाइयों के माध्यम से किसानों को अदरक प्याज लहसुन आदि मसाला वाली फसलों के उन्नत किस्मों के बीज को उपलब्ध हो सकेंगे।
क्या है प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनाएं ———————–
आत्म निर्भर भारत अभियान के अनुसार प्रधानमंत्री खाद्य उद्यम उन्नयन योजना की शुरुआत की गई है। योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्योगों का विकास तथा एक जिला एक उत्पाद योजना में गतिविधियों को बढ़ावा देना है। उद्यानिकी फैसले जैसे जैसे आम आलू टमाटर इत्यादि फसलें जल्द खराब होती है। इनके रखरखाव
प्रोसेसिंग,ब्रांडिंग, एवं मार्केटिंग के लिए योजना में विशेष व्यवस्था है। इस योजना के अनुसार ही देश में फूड प्रोसेसिंग इकाई स्थापित की जा रही है जिससे किसानों को अपने उत्पाद लंबे समय तक सुरक्षित रखने में कोई परेशानी नही आए और किसानों को बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल सके।
फूड प्रोसेसिंग इकाई और स्टार्टअप के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम ——————————–
* भारत में प्रोडक्शन लिंक इंसेटिव योजना मतलब पीएलआई स्कीम में फूड प्रोसेसिंग के लिए भी 10,900 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- वेल्यू एडिशन को बढ़ावा देने के लिए आपरेशन ग्रीन का दायरा बढ़ा दिया गया है।
- अपरेशन ग्रीन में टमाटर,प्याज, आलू के अतिरिक्त 22 और फसलों को शामिल किया गया है।
- किसानों की मदद करने के लिए माइक्रो फूड प्रोसेसिंग के लिए 10,000 करोड़ की व्यवस्था अलग से की जा रही है।
- फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में विदेशी तकनीक और निवेश को बढ़ावा देने के लिए आटोमेटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
- फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएम किसान संपदा योजना के अनुसार देश में मेगा फूड पार्क बनाने की योजना जारी है।
- सरकार इसके अनुसार 50 से 60 प्रतिशत तक का वित्तीय अनुदान देगी।
- भारत के फूड प्रोसेसिंग बाजार को 2025- 26 तक 535 बिलियन डालर होने की उम्मीद है।
- किसान भाईयों को यह भी जानना नितांत आवश्यक है की देश में कुल फूड मार्केट में प्रोसेस्ड फूड की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत है वहीं देश में संपूर्ण खाद्य उत्पादन का 10 प्रतिशत ही प्रोसेस किया जाता है। देश के कुल निर्यात में प्रोसेस फूड की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। 2019 -20 में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में 905 बिलियन डालर का एफडीआई आया था।