रायबरेली : उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/जनपद न्यायाधीश, रायबरेली राजकुमार सिंह के दिशा-निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली के द्वारा महिलाओं के हितार्थ संरक्षण कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन फिरोज गाँधी इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्जीनियरिंग टेक्नालॉजी, रायबरेली में किया गया। संस्थान के एम0सी0ए0, बी0सी0ए0 एवं बी0एस0सी छात्र-छात्राओं द्वारा भी उक्त अधिनियम के अन्तर्गत विस्तृत रुप से अपने विचार व्यक्त किये गये। विशेष रुप से महिला छात्रों द्वारा कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न सम्बन्धी चिन्ताओं को भी अपने वक्त्वयों में भी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पैनल अधिवक्ता शैलजा सिंह, रायबरेली उपस्थित महिलाओं को कार्यस्थल पर पर होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं के सम्बन्ध में जानकारी देकर जागरुक किया गया। पैनल अधिवक्ता द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न, रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013 के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त महिलाओं हेतु संचालित महिला हेल्प लाइन नं0 181 व महिलाओं हेतु संचालित केन्द्रो के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अनुपम शौर्य, अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली के द्वारा बताया गया कि जीवन एक अनुशासन है बिना अनुशासन के कुछ नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य 1997 मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय में जारी विशाखा दिशा-निर्देश के सम्बन्ध में उपस्थित लोगों को जानकारी प्रदान की गयी। यह भी बताया गया कि लगभग 15 वर्षों बाद सामाजिक चेतना से जागरुक होने के उपरांत विधि विशेषज्ञों द्वारा मथंन उपरात कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधनियम 2013 संसद द्वारा पास किया गया। जो अधिसूचना के रुप में दिनांक 09 दिसम्बर 2013 को जारी किये जाने के उपरांत लागू हुआ।
इस अवसर पर महिलाओं के विधिक अधिकार विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बताया गया कि महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने के लिए और कार्यस्थल पर उसके अधिकारों की रक्षा करने के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष अधिनियम 2013 अधिनियमित किया गया है । सचिव द्वारा बताया गया कि PoSH अधिनियम यौन उत्पीड़न को परिभाषित करता है जिसमें शारीरिक संपर्क और यौन प्रस्ताव, यौन अनुग्रह के लिये मांग या अनुरोध, अश्लील टिप्पणी करना, अश्लील चित्र दिखाना तथा किसी भी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक व्यवहार जैसे अवांछित कार्य शामिल हैं। PoSH अधिनियम 2013 में भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीड़न के मुद्दे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है। इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण बनाना तथा उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है। अधिनियम के अन्तर्गत कार्य स्थल को भी विस्तृत रुप से पारिभाषित किया गया है। जिसमें परंपरागत कार्य क्षेत्र को न मानते हुए कार्यालय कार्य के लिए प्रयोग होने वाली टैक्सी, कान्फ्रेंस/वर्कशॉप स्थल जो सामान्यतया मुख्य कार्यालय से दूर होते है, को भी तथा रहने वाले घर को जहाँ घरेलू सेवक कार्य करते है को भी कार्यस्थल माना गया है। सचिव द्वारा उक्त प्रकरण में विभागीय जाँच की बारीकियों के सम्बन्ध में भी विधिवत रुप से अवगत कराया गया। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत आन्तरिक समिति के द्वारा दी गयी संस्तुतियों के अनुपालन न करने पर एवं अधिनियम के अन्य प्रावधानों के अनुपालन न करने पर व संस्थानों द्वारा आन्तरिक समिति गठित न करने पर मु0 50 हजार रुपये जुर्माना अदा करने के प्रावधानों से भी अवगत कराया गया। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत जाँच एवं उसकी अपील की समयसीमा के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। डा0 मनीष सक्सेना, डायरेक्टर, फिरोज गाँधी इन्जीनियरिंग कालेज, रायबरेली द्वारा कार्यस्थल पर आचार संहिता विषय के सम्बन्ध में प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम के उपरांत प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में विनोद दोहरे निदेशक व पराविधिक स्वयं सेवक पूनम सिंह, सौम्या मिश्रा, मनोज कुमार प्रजापति व पवन कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डा0 आरती श्रीवास्तव के द्वारा किया गया व धन्यवाद ज्ञापन डा0 शलिनी सिंह के द्वारा किया गया।
