सीएमओ कार्यालय में आयोजित हुई संगोष्ठी निकाली गई जागरूकता रैली

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जनपद में मनाया गया राष्ट्रीय बालिका दिवस
रायबरेली : राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित हुई। इस मौके पर एएनएमटीसी में जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अंजली सिंह ने जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
संगोष्ठी में नोडल अधिकारी ने बताया कि साल 2008 से राष्ट्रीय बालिका दिवस किसी न किसी थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम है – “उज्ज्वल भविष्य के लिए बालिकाओं को सशक्त बनाना” इसका मतलब है कि लड़कियों को सशक्त बनाने और उचित अवसर दिए जाने की जरूरत है। नोडल अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए “सुमंगला योजना”, “बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ,” जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं है। लड़के की चाह में परिवार वाले भ्रूण हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 लागू किया गया है और मुखबिर योजना चलायी जा रही है है। इसके साथ ही चिकित्सीय गर्भसमापन संशोधन अधिनियम (एमटीपी एक्ट) 2021 भी लागू किया गया है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। इसके साथ ही https://pyaribitia.com पर अल्ट्रासाउंड केंद्र द्वारा फॉर्म-एफ भरकर अपलोड किया जाता है। इसमें अल्ट्रासाउंड करने और करवाने वाले का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है। इस माध्यम से अल्ट्रासाउंड करवाने के उद्देश्य का भी पता चलता है।
एक बेहतर भविष्य के लिये बालिकाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है, तभी एक स्वस्थ समाज बन सकता है। सरकार की ओर से चल रही “मुखबिर योजना” से जुड़कर लिंग चयन/भ्रूण हत्या/अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों/ संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार से सहायता प्राप्त की जा सकती है। लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों/नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है। लिंग जांच करके बताने वाले को पांच साल की सजा या एक लाख का जुर्माना है और जो व्यक्ति भ्रूण लिंग जांच करवाता है उस को पांच साल की सजा या 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डी एस अस्थाना ने बताया एमटीपी संशोधन एक्ट, 2021 के प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भ समापन सरकारी अस्पतालों अथवा पंजीकृत स्वास्थ्य केंद्रों पर किसी प्रशिक्षित चिकित्सक से ही करवाएं। अधिनियम के अनुसार यौन उत्पीड़न या बलात्कार की शिकार, नाबालिग अथवा गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव हो गया हो (विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो) या फिर गर्भस्थ शिशु असमान्य हो ऐसी स्थिति में महिला 24 सप्ताह की अवधि के अंदर गर्भपात करा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि 20 सप्ताह तक के गर्भ समापन के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक और 20 से 24 सप्ताह के गर्भ समापन के लिए दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होती है।
इस मौके पर डा श्रीकृष्णा, डा. राकेश यादव, डा. अम्बिका प्रकाश, डा ऋषि बागची, रूबी यादव, सम्पत्ति देवी सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

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