अब जमीन का भी बनेगा आधार कार्ड, भू-आधार का नया नियम लागू

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नई दिल्ली : हमारे आधार कार्ड में 12 अंकों की पहचान संख्या होती है, वैसे ही ज़मीन को भी 14 अंकों की विशेष पहचान संख्या दी जाएगी, जिसे भू आधार यूएलपिन कहा जाएगा। इस भू आधार कार्ड के माध्यम से ज़मीन के मालिक का स्पष्ट रूप से पता चलेगा और ज़मीन से संबंधित विवादों को सुलझाया जा सकेगा। सरकार समय-समय पर भूमि सुधार के लिए नए नियम बनाती रहती है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने बजट में कई भूमि सुधार से संबंधित नियम पेश किए हैं। इनमें ग्रामीण इलाकों में भूमि के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (भू आधार) और शहरी भूमि के रिकॉर्ड का डिजिटलकरण शामिल है।
भू आधार योजना के तहत, अब आपकी जमीन के मालिकाना हक स्पष्ट होगा और भूमि से जुड़े विवाद अपने आप समाप्त हो जाएंगे। इस योजना में, ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी, जिसे भू आधार के नाम से जाना जाएगा। केंद्रीय बजट में घोषणा की गई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी भूमि भूखंडों को विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जाएगी, जिसे भू आधार कहा जाएगा।
इसके अलावा, 2027 तक शहरी भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। केंद्र सरकार इस सुधार को तेजी से लागू करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बताया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमि सुधारों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। इसके अंतर्गत भूमि प्रशासन, योजना प्रबंधन, शहरी नियोजन और भवन उपयोग संबंधी नियम शामिल होंगे। इन सुधारों को अगले 3 वर्षों में पूरा करने के लिए उचित वित्तीय सहायता के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।
भू आधार कैसे बनाया जायेगा
भू आधार योजना कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए हम इसे सरल भाषा में देख सकते हैं। सबसे पहले, भूखंड को जीपीएस तकनीक का उपयोग करके जियो टैग किया जाता है, जिससे उसकी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान की जाती है। इसके बाद, भूखंड की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप किया जाता है। फिर, भूखंड के मालिक का नाम, उपयोग की श्रेणी, क्षेत्रफल और अन्य विवरण एकत्रित किए जाते हैं। सभी ये जानकारी भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज की जाती है। इसके बाद, एक स्वचालित सिस्टम भूखंड के लिए एक विशिष्ट भू आधार संख्या तैयार करेगा
भू आधार में शामिल जानकारी
भूमि आधार, आधार कार्ड की तरह ही बनाया जाएगा। इसमें आपका राज्य कोड, जिला कोड, उप जिला कोड, गांव कोड, और भूखंड की विशिष्ट आईडी संख्या शामिल होगी। भूमि आधार संख्या को डिजिटल और भौतिक भूमि रिकॉर्ड दस्तावेज़ के रूप में दर्ज किया जाएगा।
भू आधार के लाभ
केएनएस लाइव संवादाता की माने तो भू आधार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे भूमि मानचित्र और नक्शे के माध्यम से सटीक भूमि अभिलेख सुनिश्चित किए जा सकेंगे। इससे भूखंड की पहचान स्पष्ट होगी, जो अक्सर भूमि विवादों का कारण बनती है। चूंकि यह आधार कार्ड से लिंक होगा, भूमि अभिलेखों तक ऑनलाइन पहुंच सक्षम होगी। इससे भूखंड से संबंधित पूरी जानकारी और स्वामित्व विवरण को ट्रैक किया जा सकेगा, और सरकार को नीति निर्माण के लिए सटीक भूमि डेटा प्राप्त होगा।

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