अमेठी: मंडल अध्यक्ष चुनाव में पर्चा दाखिला प्रक्रिया पूरी, पुराने बनाम नए नेतृत्व पर जनता की नजर

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अमेठी : भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया आज संपन्न हुई। इस दौरान सभी मंडलों में प्रत्याशियों ने अपने-अपने पर्चे दाखिल किए। पार्टी द्वारा तय आयु सीमा (35 से 45 वर्ष) और पिछले दो चुनावों में सक्रिय सदस्य होने की शर्त ने इस बार चुनाव को बेहद रोचक और चर्चा का विषय बना दिया है।
पुराने बनाम नए नेतृत्व की बहस
भाजपा ने इस बार युवा और सशक्त नेतृत्व को प्रोत्साहन देने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत, पार्टी ने स्पष्ट किया है कि केवल वही कार्यकर्ता मंडल अध्यक्ष पद के लिए योग्य माने जाएंगे, जो पिछले दो चुनावों में सक्रिय रहे हों। इस निर्णय ने पार्टी के भीतर नए नेतृत्व की मांग को बल दिया है।
जनता और कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी को ऐसे कार्यकर्ताओं को नेतृत्व सौंपना चाहिए, जिनका जमीनी पकड़ हो और जो अपने बूथ और गांव में भाजपा को मजबूती से स्थापित कर सके। पुराने नेताओं पर यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब वे अपने गांव में भी भाजपा को वोट दिलाने में असमर्थ रहे हैं, तो पूरे मंडल में पार्टी को मजबूत कैसे करेंगे?
सोशल मीडिया एक्टिविज़्म बनाम जमीनी कार्यशैली
कई पुराने कार्यकर्ता ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर तो काफी सक्रिय दिखते हैं—जन्मदिन की शुभकामनाओं से लेकर कार्यक्रमों की तस्वीरें साझा करते हैं—लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी सक्रियता का असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर नहीं दिखता। पिछली लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इनके क्षेत्रों से भाजपा को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला, जिससे इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं।
जनता की मांग और मंडल अध्यक्ष की भूमिका
इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच चर्चा है कि मंडल अध्यक्ष पद ऐसे व्यक्ति को मिलना चाहिए, जो न केवल संगठन को सशक्त कर सके बल्कि अपने बूथ पर भाजपा के वोटों को भी बढ़ाने में सक्षम हो। ऐसे प्रत्याशियों को प्राथमिकता दी जाए जो संगठन की रीढ़ बन सकें।
क्या चलेगा ऊपर बैठे पदाधिकारियों का दबाव?
भाजपा की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर देने के बावजूद यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी उन कार्यकर्ताओं को ही चुनेंगी जो जमीनी स्तर पर काम करने में सक्षम हैं, या फिर ऊपर बैठे पदाधिकारियों के दबाव में जान-पहचान वालों या अपने चहेते कार्यकर्ताओं को पद सौंप दिया जाएगा? जनता और कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसे नेता जो अपने बूथ तक पर भाजपा को वोट नहीं दिला पाए, उन्हें नेतृत्व देने का मतलब संगठन को कमजोर करना होगा।
पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर
भाजपा जिलाध्यक्ष रामप्रसाद मिश्रा ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी पर्चों की जांच के बाद पार्टी जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी करेगी।
भविष्य की राह तय करेगा चुनाव
इस बार के चुनाव न केवल भाजपा संगठन में नई ऊर्जा भरने का माध्यम बन सकते हैं, बल्कि यह भी तय करेंगे कि पार्टी पुराने चेहरों पर भरोसा करती है या नए नेतृत्व को जिम्मेदारी सौंपती है।
मुख्य बिंदु:

  1. मंडल अध्यक्ष चुनाव के लिए पर्चा दाखिला प्रक्रिया पूरी।
  2. 35 से 45 वर्ष की आयु सीमा और सक्रिय सदस्यता की अनिवार्यता।
  3. पुराने कार्यकर्ताओं की कार्यशैली और प्रदर्शन पर सवाल।
  4. जनता की मांग: बूथ स्तर पर मजबूत नेता का चयन।
  5. पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भाजपा का जोर।
  6. ऊपर बैठे पदाधिकारियों के दबाव में नियुक्ति की आशंका।
    क्या भाजपा इस बार बदलाव का रास्ता अपनाएगी और ऐसे चेहरे सामने लाएगी, जो पार्टी को न केवल मजबूती प्रदान करें, बल्कि जमीनी स्तर पर भाजपा के वोट बैंक को भी मजबूत कर सकें? या फिर वही पुराने चेहरे और दबाव की राजनीति मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में हावी होगी? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में सामने आएगा।

संवाददाता .. दिवाकर मणि त्रिपाठी।

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