धर्म डेस्क / ज्योति त्रिवेदी : कैसे करें आमलकी एकादशी की पूजा विधि। आइए जानते हैं। हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन कोई ना कोई पूजा पाठ जरूर की जाती है और हर दिन हर देवता को समर्पित माना जाता है ठीक उसी प्रकार एकादशी का पर्व भी सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण माना जाता है आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमला की एकादशी का पर्व मनाया जाता है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है जो भी महिला या पुरुष भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी और आंवले के वृक्ष की पूजा विधि के अनुसार करता है। उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के परसु राम स्वरूप की पूजा की जाती है.
शास्त्रों में बताया गया है भगवान विष्णु के मुख से एक चंद्रमा की भांति परम कांति के समान एक दिव्य बिंदु धरती पर गिरी है जिससे कि आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई जिसमें कि प्रत्येक देवता वास करते हैं आंवले के पेड़ में तने में पत्तों में और टहनियां में शाखों में हर देवता का वास होता है जैसा कि ब्रह्मा, रूद्र, मुनीगढ़, देवता, वासु, मारुदगढ़ और प्रजापति आंवले के वृक्ष में वास करते हैं इसलिए आंवले के वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए । आंवले के वृक्ष की लकड़ी का कभी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और इस आग में जलाना नहीं चाहिए । आइए जानते हैं पूजा सामग्री। सामग्री हल्दी, चंदन, जनेऊ, धूप, दीप ,तिल, जल, कला वा, गंगाजल, भगवान गणेश की प्रतिमा, पीले पुष्प, आंवला का फल, ऋतु फल ,दूध की बनी मिठाई ,गुलाल, कपूर, दक्षिणा आदि ।
एकादशी पूजा विधि
आंवला एकादशी के दिन आपको सुबह जल्दी नहा धोकर भगवान विष्णु गणेश और सूर्य देव को जल समर्पित करें उसके बाद आपको सारा दिन निर्जला व्रत करना है फिर शाम को सूर्यास्त के पहले आंवले के वृक्ष की पूजा करनी है अगर आपके आसपास आंवले का पेड़ नहीं है तो आप अपने घर के गमले में आंवले का पेड़ लगाकर विधि के अनुसार पूजा कर सकते हैं सबसे पहले आंवले के वृक्ष में तिल डालकर जल चढ़ाएं उसके बाद हल्दी या फिर पीले चंदन से स्वास्तिक बनाएं और आंवले के वृक्ष में हल्दी का टीका लगाए फिर धूप दीप जलाएं और जनेऊ चढ़ाएं फिर कला वा चढ़ाए आंवले के फल का भोग भगवान विष्णु को समर्पित करें और ऋतु फल दूध की बनी मिठाई और दक्षिणा चढ़ाएं और भगवान विष्णु को गुलाल अवश्य लगाएं क्योंकिआमलकी एकादशी को रंग की एकादशी भी कहा जाता है उसके बाद आंवले के पेड़ की सात या फिर पांच परिक्रमा करें और भगवान विष्णु से अपने पूजा की गलतियों की क्षमा मांगे। फिर प्रसाद सभी को बांट दें और आप सात या फिर पांच कन्याओं को पेड़े का दान दें और दक्षिणा दे फिर सभी कन्याओं के पैर छुए और सुहागिन महिलाओं को एक-एक बिंदी की डिब्बी और पेड़े में सिन्दूर का टीका लगाकर दान देने से आपका सुहाग अखंड बना रहता है । आमलकी एकादशी की तिथि फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 मार्च दिन बुधवार को आमलकी एकादशी मनाई जाएगी आम लकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करें और रात्रि जागरण करें जिससे कि आपके वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी और आपकी सभी बीमारियां समाप्त हो जाएगी और आप अपने करियर में दिन दूना रात चौगुना तरक्की होगी और आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।