मुख्यमंत्री के “रोड टू प्रोजेक्ट” योजना से अब डी एल एड और बी ए एड युवाओं को मिलेगा रोजगार साथ ही प्राइमरी और माध्यमिक विद्यालयों में बढ़ेगी बच्चों की संख्या

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लखनऊ : कक्षा एक से आठ तक परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के समग्र विकास के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण वाले ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट योजना उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के आदेश पर लागू किया गया है इस ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट योजना में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने, ड्राप आउट रोकने, बच्चों में पठन-पाठन के प्रति अभिरुचि बढ़ाने, उनके स्वास्थ्य की देखभाल और खेल एवं कौशल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए भी संजीदगी से प्रयास किए जा रहे हैं।इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में आधार कैंप भी आयोजित किए गए। इनके माध्यम से बच्चों को आधार कार्ड बनवाने की सुविधा प्रदान की गई, जिससे उन्हें न केवल स्कूल में प्रवेश दिलाने में मदद मिली बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी सहूलियत हुई। रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट का लक्ष्य बच्चों के बीच आधारभूत शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला शिक्षा में सुधार करना है। यह प्रोजेक्ट निपुण भारत मिशन के अनुसार बुनियादी शिक्षा स्तरों में सुधार करने के लिए काम करेगा। मसलन बच्चों में विज्ञान और गणित को लेकर दिलचस्पी बढ़े और उनमें विषय की अभिव्यक्ति विकसित हो। बच्चों के समग्र स्वास्थ्य विकास को लेकर इस प्रोजेक्ट में शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण आधारित पाठ्यक्रम चलेंगे।चयनित विद्यालय में बच्चों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम को लागू किया जाएगा। जबकि कौशल विकास के लिए बच्चों में निहित हुनर को तलाश कर उसे तराशा जाएगा। रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट में प्रत्येक विद्यालय को शिक्षण सहायक सामग्री और बच्चों को गणितीय योग्यता में दक्ष बनाने के लिए गणित किट प्रदान की जाएगी। खेलो इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप बच्चों में खेल की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एक खेल किट भी दी जाएगी।इसके तहत प्रोजेक्ट शुरू करने वाली संस्था की तरफ से चरगांवा ब्लॉक में अब तक 57 युवाओं को रोज़गार दिया गया है। वॉलंटियर के रूप में इन युवाओं का चयन डीएलएड या बीएड पास विद्यार्थियों में से किया गया है। ये सभी वॉलंटियर इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अब तक इन वॉलंटियर्स ने स्थानीय शिक्षकों के साथ मिलकर घर-घर जाकर बच्चों के माता-पिता से मुलाकात की, उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया और उन्हें अपने बच्चों का परिषदीय विद्यालयों में नामांकन कराने के लिए प्रेरित किया। इस प्रयास से विद्यालयों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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