रायबरेली में सीडीओ ने विराट किसान मेले के द्वितीय दिवस का फीता काटकर किया शुभारम्भ

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रायबरेली : कृषि सूचना तंत्र के सुदृढीकरण योजनान्तर्गत एग्रो क्लाइमेटिक जोन स्तरीय विराट किसान मेले का आयोजन आई0टी0आई मैदान के द्वितीय दिवस के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अर्पित उपाध्याय के कर कमलों द्वारा फीता काटकर एवं दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया गया। विनोद कुमार उप कृषि निदेशक द्वारा मेले में आये हुए कृषकों का स्वागत करते हुए विभाग में चल रही समस्त योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, जिसमें मुख्य रूप किसानों को अपनी फार्मर रजिस्ट्री तैयार करने हेतु किसानों को जन सुविधा केंद्रों पर जाकर फार्मर रजिस्ट्री तैयार कराने हेतु प्रेरित किया और पी0एम कुसुम योजनान्तर्गत सोलर पम्प का लाभ प्राप्त करने हुए किसानों को विस्तार से जानकारी दी गई।
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा स्टालों का अवलोकन किया गया और अपने संबोधन में किसानों को बताया कि किसान भाई इस मेले में लगी प्रदर्शनी एवं वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये अनुभवो को अपने खेती में उपयोग कर अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा 05 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तथा दो किसान को कस्टम हायरिंग सेन्टर एवं एक एफ0पी0ओ0 को फार्म मशीनरी बैंक की चाबी सौंपी गई। कृषि वैज्ञानिक डा0 मनोज कुमार सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र कौशाम्बी द्वारा किसानों को भूमि में जीवांश कार्बन की कमी को दूर करने हेतु किसानों से आह्वान किया गया वे गोबर की खाद एवं हरी का खाद का प्रयोग करके उक्त कमी को दूर कर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
पूजा मौर्या शोध छात्रा द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन की खेत के बाहर एवं खेत के अन्दर (इन-सीटू, इक्स सीटू) के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए किसानों से अपील की आप फसल अवशेष अपने खेतों में न जलाए उसको बेस्ट डी0 कम्पोजर एवं पूसा डी0 कंपोजर कैप्सूल का प्रयोग करके सभी फसल अवशेषों को सड़ाकर खाद के रूप में खेतों में प्रयोग करके भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाये।
मदन चंद्र प्रगतिशील कृषक जनपद उन्नाव द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दी, जिसमें मुख्य रूप से जीवामृत, बीजामृत, घन जीवामृत दशपर्णी अर्क बनाने की विधि एवं इनका फसलों में कैसे प्रयोग करके प्राकृतिक खेती में कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है।
डा0 एस0बी0 सिंह वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र दरियापुर द्वारा उद्यानिक फसलों जैसे आम में फूले के बचाव हेतु नैपथेलिक एस्टिक एसिड(एन0ए0ए0) के विस्तृत प्रयोग के बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी देते हुए स्ट्राबेरी की खेती हेतु प्रोत्साहित किया। हर व्याख्यान के बाद के प्रश्न पूछा जाता है और किसानों द्वारा सही उत्तर देने पर उन्हें इफ्को की तरफ से पुरस्कार दिया जा रहा है।
डा0 अनिल शुक्ला एनिमल ब्रीडिंग सेंटर सलोन द्वारा बताया गया कि कृषकों को सार्टसीमन का प्रयोग करना चाहिए जिससे 90 प्रतिशत बछिया होने की सम्भावना रहती है, जिससे छुट्टा जानवरों की समस्या दूर हो सकती है।
जिला कृषि अधिकारी अखिलेश पाण्डेय द्वारा अन्त में पी0एम0 प्रमाण योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए नैनों यूरिया तथा नैनो डी0ए0पी0 के उपयोग को बढ़ावा देने तथा उर्वरको के संतुलित उपयोग एवं मुख्य उर्वरकों के वैकल्पिक साधनों को बढावा देने, मृदा परीक्षण कराने तथा इसके आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करने हेतु आह्वान किया गया। अन्त में अधिकारियों एवं किसानों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रथम दिवस के मेले के समापन की घोषणा की गई

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